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जीवन वीणा - 10 - अंतिम, समापन किश्त

by Anangpal Singh Bhadoria
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आत्मिकी आम आदमी की -यह आम आदमी की आत्म कथा है .‌संसार रूपी जाल में बंद व्यक्ति भगवान के ...

जीवन वीणा - 9

by Anangpal Singh Bhadoria
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तोड़ सकोगे सारे बंधन, मुक्ति मार्ग पर कदम बढ़ाकर ।मुक्त स्वतंत्र हो सकेंगे सब, परमानंद व्योम में जाकर ।।अध्यात्मिक ...

जीवन वीणा - 8

by Anangpal Singh Bhadoria
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पिंजड़ा तोड़ न पाया पंछी, आजादी का स्वप्न अधूरा ।उड़ना चाहा मुक्त गगन में, पर मंसूबा हुआ न पूरा ...

जीवन वीणा - 7

by Anangpal Singh Bhadoria
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काम तत्व के साथ, धर्म की मर्यादा को जोड़ा जाए ।तभी मोक्ष का साधन बनता,वरना भवबंधन बन जाए।।धर्म हीन ...

जीवन वीणा - 6

by Anangpal Singh Bhadoria
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तब निभता कर्तव्य सही से,जब दस गुण अंदर आ जाते ।हम ईमान और निष्ठा से,निज स्वधर्म पथ कदम बढ़ाते ...

जीवन वीणा - 5

by Anangpal Singh Bhadoria
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केवल भौतिक जीवन जीना, एकांकी वा अनहितकारी ।अध्यात्मिक जीवन के बिन नहिं,जीवन होय पूर्णता धारी।।धर्म-अर्थ वा काम-मोक्ष की, श्रेष्ठ ...

जीवन वीणा - 4

by Anangpal Singh Bhadoria
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दुर्लभ देह पाय मानव की, जो उन्नति पथ नहीं बनाते ।वह कृतघ्न हैं मंद बुद्धि हैं, अपना जीवन व्यर्थ ...

जीवन वीणा - 3

by Anangpal Singh Bhadoria
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मुक्ति न पूर्व संस्कारों से, चाहें नये गढ़ रहे न्यारे ।ध्यान ...

जीवन वीणा - 2

by Anangpal Singh Bhadoria
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किया बजाना बंद, फेंकने वाले ने फिर वीणा मांगी ।अंतर्मन पछतावा जागा,ललक बजाने की भी जागी ।।पर फकीर ने ...

जीवन बीणा - 1

by Anangpal Singh Bhadoria
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अपनी बात ...