R B Chavda stories download free PDF

दिल ने जिसे चाहा - 18

by R. B. Chavda

उस रात का सन्नाटा...उस रात रुशाली के कमरे में खामोशी थी,पर उसके ज़ेहन में एक तूफान चल रहा था।"क्या ...

दिल ने जिसे चाहा - 17

by R. B. Chavda
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सुबह की पहली किरण... और धड़कनों का तेज़ होनाआज की सुबह कुछ अलग थी...रुशाली की आंखें अलार्म से पहले ...

दिल ने जिसे चाहा - 16

by R. B. Chavda
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(कुछ दिन बाद ....)समय बीत रहा था...पर इन बीते दिनों में कुछ बदला था।अब रुशाली और मयूर सर एक-दूसरे ...

दिल ने जिसे चाहा - 15

by R. B. Chavda
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अगले दिन सुबह-सुबह जब रुशाली अस्पताल पहुँची, तो माहौल कुछ बदला-बदला सा था। रिसेप्शन पर जाकर उसने जैसे ही ...

दिल ने जिसे चाहा - 14

by R. B. Chavda
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(अस्पताल – सुबह का समय)(रुशाली डायरी बंद करती है और खिड़की से बाहर देखती है। मन सवालों से भरा ...

दिल ने जिसे चाहा - 13

by R. B. Chavda
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[अस्पताल की लंबी गलियारे में मयूर सर और रुशाली साथ-साथ कैबिन की ओर बढ़ रहे हैं…]रुशाली के दिल में ...

दिल ने जिसे चाहा - 12

by R. B. Chavda
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कैंटीन की उस टेबल पर बैठकर, जब दो लोग खाने की थाली बांटते हैं…तो सिर्फ खाना नहीं, कुछ अनकही ...

दिल ने जिसे चाहा - 11

by R. B. Chavda
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कुछ दिन बीते…रुशाली और मयूर सर के बीच अब एक अजीब सी मगर प्यारी सी दोस्ती पनपने लगी थी।वो ...

दिल ने जिसे चाहा - 10

by R. B. Chavda
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सुबह के साढ़े नौ बजे होंगे। अस्पताल का माहौल रोज़ की तरह तेज़ और व्यस्त था, लेकिन डॉक्टर मयूर ...

दिल ने जिसे चाहा - 9

by R. B. Chavda
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कुछ दिन बाद.....सुबह की नर्म किरणों ने जैसे ही खिड़की से झाँककर कमरे को छुआ, एक हल्की सी गर्माहट ...