Vrajesh Shashikant Dave stories download free PDF

अंतर्निहित - 10

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 672

[10]प्रात: होते ही सारा खुली हवा में कुछ समय तक घूमने चली गई। प्रभात की वेला में उसे भारत ...

अंतर्निहित - 9

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 321

[9]येला गंगटोक लौटने की तैयारी कर रही थी तब उसने समाचार में देखा कि किसी एक नगर में पुलिसवालों ...

अंतर्निहित - 8

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 462

[8]सारा ने द्वार बंद कर दिया, गवाक्ष को खोल दिया। एक मंद समीर ने भीतर प्रवेश कर लिया और ...

अंतर्निहित - 7

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 777

[7]शैल ने कुछ समय विचार किया। मन में योजना बनाई पश्चात उसने फोन लगाया।“महाशय, मुझे किसी पारिवारिक कार्य से ...

अंतर्निहित - 6

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 597

[6]मृतदेह मिलने की घटना को तीन दिन हो गए। शैल ने अपने अन्वेषण के सभी पक्षों से प्रयास किया ...

अंतर्निहित - 5

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 654

[5]येला ने दस निमिष कहा था किन्तु उससे भी पाँच निमिष पूर्व प्रार्थना कक्ष भर गया। सभी के मन ...

अंतर्निहित - 4

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 912

[4]सिक्किम के किसी अज्ञात पर्वत पर स्थित शिल्प शाला-“येला, तुमने आज के समाचार देखे?”“इतना समय ये पत्थर कहाँ देते ...

अंतर्निहित - 3

by Vrajesh Shashikant Dave
  • (5/5)
  • 687

[3]शैल उस स्थल का, उस क्षेत्र का अपने दृष्टिकोण से निरीक्षण करने लगा। उसने जो भी देखा, जो भी ...

अंतर्निहित - 2

by Vrajesh Shashikant Dave
  • (4.9/5)
  • 990

[2]आठ दिवस पूर्व, पाकिस्तान में।पाकिस्तान पुलिस का एक छोटा सा दल पाकिस्तान के सीमावर्ती जिला कसूर के मार्ग पर ...

अंतर्निहित - 1

by Vrajesh Shashikant Dave
  • (0/5)
  • 2.2k

आठ वर्ष पूर्व :-दूसरे दिन प्रात: ब्राह्म मुहूर्त से ही सेलेना की योग साधना प्रारंभ होनेवाली थी। सेलेना को ...