कहानी उस धूसर सन्नाटे में धीरेन्द्र अस्थाना फोन करने वाले ने जब आर्द्र स्वर में सूचना दी कि ब्रजेंद्र ...
आजादी धीरेन्द्र अस्थाना यह पहली बार नहीं था। दो हजार एक सौ नब्बे दिन के इस लम्बे, मनहूस समय ...
कहानी चीख धीरेन्द्र अस्थाना ठोस अंधेरे में भय की तरह चमकता हुआ क्षण था वह जब मुझे बताया गया ...
प्रतिसंसार धीरेन्द्र अस्थाना यह दोपहर के ठीक दो बजे का लपलपाता हुआ वक्त था। पूरी गली में बेतरह सन्नाटा ...
कहानी पिता धीरेन्द्र अस्थाना ‘अपन का क्या है/अपन तो उड़ जायेंगे अर्चना/धरती को धता बताकर/अपन तो राह लेंगे अपनी/पीछे ...
कहानी पतन बोध धीरेन्द्र अस्थाना छिपकली एकदम निष्प्राण—सी थी। पर उसकी आंखें एकदम चौकन्नी थीं और पूरा शरीर एक ...
कहानी औरांग उटांग धीरेन्द्र अस्थाना यह तो वह समय था न, जब आप दौड़ना छोड़ चुके होते हैं। तो ...
कहानी मेरी फर्नांडिस क्या तुम तक मेरी आवाज पहुंचती है ? धीरेन्द्र अस्थाना बोरीवली... कांदिवली...मालाड...गोरेगांव... मेरी फर्नांडिस। मेरी फर्नांडिस? ...
कहानी किस्सा एक त्रासद फंतासी का धीरेन्द्र अस्थाना वह एक निर्जन जगह थी, जहां तूफान की तरह उन्मत्त दौड़ती ...
कहानी गुफाएं धीरेन्द्र अस्थाना चीजें या तो अपना अर्थ खो बैठी थीं या अपने मूल में ही निरर्थक हो ...