स्वाधीन वल्लभा गीताश्री प्रेम के आस्वाद के लिये शब्दों की भला क्या जरूरत? शायद दुनिया की तमाम भाषायें, प्रेम ...
सलमा सितारा जड़ी मेरी साड़ी गीताश्री वह बार बार मुझसे टकरा रही थी। मैं उससे बचने की कोशिश करती ...
गंध-मुक्ति गीताश्री अस्पताल के कारीडोर में बैठे बेठे सपना ऊब गई थी। लगातार लोगों की आवाजाही लगी थी। अपनी ...
वह रात नसीबोवाली नहीं थी. देर रात फोन पर झगड़ने के बाद बिंदू किसी काम के लायक नहीं बची थी। आयशा ...
वह मुस्कुराने की कोशिश कर रहा है। चेहरे पर स्याह रंगत वह देख समझ सकती है। क्या ईशान भी ...
प्रेम, खौफ, धोखा, दुनिया, रचना, सपना, आकांक्षा, डर, प्रकृति, पानी, बारिश, धूप, बादल, आकाश, पृथ्वी, सौंदर्य, शोख, चंचल, दिल, ...
वह लौट रही है अपने घर, मन में तरह तरह की शंकाएं, आशंकाएं लिए। क्या होगा जब वह घर ...
“लबरा लबरी चले बाजार...लबरा गिरा बीच बाजार, लबरी बोली खबरदार...” माला कुमारी ने जिस घड़ी गांव जाने के बारे में ...
“अरे..सब एक साथ उठ कर चल दिए। मैं अकेला रहूंगा अभी से...कोई एक तो रुको, मेरा जाम खत्म हो ...
गाछी अगोरते अगोरते आंखें दुखने लगी हैं घूरना की और और टांगे भी। कौन चोर छौरा- छौरी के पीछे ...