तीन दिन बाद...मारिया उस दिन छोटे के साथ नानी के कहने पर पास के बाजार गई थी।छोटे को नए ...
कमरे में कदम रखते ही एक ठंडी, मद्धम सी महक नायरा की सांसों में उतर गई। सफेद और सुनहरी ...
कुछ दिन बाद…मारिया अब बहुत कम बोलती थी, पर उसकी ख़ामोशियाँ बहुत कुछ कहने लगी थीं।छोटे के साथ खेलते ...
हफ़्ते कैसे बीते, उसे खुद नहीं पता चला…हर दिन जैसे एक साए की तरह गुज़रता गया।नायरा खामोश हो गई ...
रात के 3 बजे।क्लब की रौशनी अब बुझ चुकी थी —सिर्फ दीवारों पर फैली हल्की पीली रोशनी अब भी ...
कमरे का दरवाज़ा बंद होते ही, निम्मी ने झट से परदे गिराए और अपनी खास वाली चप्पल पहन ली ...
दरगाह से लौटते हुए...मारिया की रूह अब भी उस दरगाह की मिट्टी में अटकी थी। शहर की सड़कों पर ...
रात का वक्त था...नायरा घर लौटी तो हर चीज़ पहले जैसी थी—दीवारें, लोग, बातें... मगर उसके अंदर कुछ टूट ...
सुबह की हल्की सी ठंडी हवा कमरे में घुसकर पर्दों को झकझोर रही थी, और सूरज की किरणें धीरे-धीरे ...
दोपहर ढल चुकी थी।कॉलेज से लौटते हुए नायरा की चाल कुछ और धीमी थी आज। दिल में उलझन थी… ...