Priya Saini stories download free PDF

समानता

by priya saini

प्राचीन काल से ही भारत में समुदायों के बीच भेदभाव देखा गया है। प्राचीन भारत ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व ...

किरदार - 9

by priya saini

अंजुम को माँ की याद आने लगती है। वह चुप चाप अपने बिस्तर पर बैठ जाती है।समीर कमरे में ...

किरदार - 8

by priya saini

बिंदिया दरवाज़ा खड़काती है।बिंदिया: भाभी, भाभी….समीर: अरे आ जा अंदर बिंदिया की बच्ची। (समीर,बिंदिया की खिंचाई करते हुए कहता ...

किरदार - 7

by priya saini

समीर: चलो अंजुम, नहीं तो फिर आ जाएगी वो परेशान करने।अंजुम: ठीक है पर वो परेशान नहीं कर रही ...

किरदार- 6

by priya saini

समीर उसकी झुल्फों को दूर से निहार रहा है। अंजुम का काजल लगाना, हाथों में लाल चूड़ा, लाल बिंदी ...

किरदार - 5

by priya saini

माँ अंजुम को गले लगाकर रो रही है, अंजुम भी रो रही है पर अब उसने माँ से कुछ ...

किरदार- 4

by priya saini

माँ: अंजुम….अंजुम, उठ जा अब जल्दी। भोर हो गई।सारे रिश्तेदार आ चुके हैं। घर में बहुत चहल-पहल है, कोई ...

किरदार - 3

by priya saini

माँ खाने के थाली लगाकर अंजुम के पास आती है और कहती है, "खाना नहीं खायेगी तो ताकत कैसे ...

किरदार - 2

by priya saini

दूसरे दिन सब लोग सुबह से ही काम में जुट जाते हैं। घर को सजाना है, गाने बजाने का ...

किरदार

by priya saini

माँ का सपना बस पूरा ही होने वाला था, दो दिन बाद अंजुम की शादी जो थी। माँ ने ...