रितेश एम. भटनागर... शब्दकार stories download free PDF

अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 59

by Ritesh M Bhatnagar
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जतिन के मैत्री को टटोलते हुये पूछने पर अपने आंसू पोंछते हुये रुंधे हुये गले से मैत्री ने कहा- ...

हीर... - 31

by Ritesh M Bhatnagar
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आंखों में आंसू लेकर अंकिता को याद करते करते राजीव की आंख कब लग गयी उसे पता ही नहीं ...

अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 58

by Ritesh M Bhatnagar
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जतिन से मिले प्यार और साथ ने मैत्री को इतना भावुक कर दिया कि जिन बातो को उसने अपने ...

हीर... - 30

by Ritesh M Bhatnagar
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अपने प्रपोजल के लिये अंकिता से मिले एक्सेप्टेन्स के बाद अंकिता के सामने अपने घुटनों पर बैठे अजीत ने ...

अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 57

by Ritesh M Bhatnagar
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कोई और खाने के बर्तन ना उठा ले ये सोचकर मैत्री ने जल्दी जल्दी खाके अपना खाना खत्म कर ...

हीर... - 29

by Ritesh M Bhatnagar
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"ज़रा सी दिल में दे जगह तू, जरा सा अपना ले बना.. मैं चाहूं तुझको मेरी जां बेपनाह!! फ़िदा ...

अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 56

by Ritesh M Bhatnagar
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जतिन के ऑफिस जाने के बाद अपने कमरे मे बैठे बबिता और विजय बाते कर रहे थे.... बाते करते ...

हीर... - 28

by Ritesh M Bhatnagar
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जब किसी का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से किया जाता है ना तब.. अचानक से उसके सामने आ जाने पर ...

अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 55

by Ritesh M Bhatnagar
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मैत्री की बनायी रंगोली देखकर जहां एक तरफ बबिता और विजय बेहद खुश थे ये सोचकर कि मैत्री कितनी ...

हीर... - 27

by Ritesh M Bhatnagar
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अवध ने जब राजीव से कहा कि "मधु ने रात से खाना.. खाना तो दूर पानी भी नहीं पिया ...