एक ओर छल कपट, निष्कासन , एकाकी होने का दंश दूसरी ओर घर चलाने के लिए पाई-पाई का संघर्ष ...
अरे! ये लड़का तो बिलकुल निशांत जैसा लग रहा है, बल्कि निशांत ही तो नहीं ... हाँ हाँ ...
सुबह के साढ़े आठ बजे थे, राकेश का कहीं अता पता नहीं था| सुबह सात बजे शिप्रा ढाई महीने ...
रीमा भौचक्की सी रिक्शा में बैठी थी| आँखे देख तो सामने रहीं थी, लेकिन उन्हें दिखाई कुछ और ही ...
ऑपोज़िट कलर्स "भैया कोई नई किताब आयी है क्या आर्ट में ?""हैं न ये देखिये ! भुवन पुरोहित ...
हम पढ़े लिखे लोग हर चीज को विज्ञान और तर्क के तराजू पर तोले बिना किसी बात पर ...
' सुहानी की आँखों से नींद इतनी दूर जा बैठी है, कि वो बुला-बुला कर थक गयी है| पलकों ...
फर्नीचर की दुकान आज बरसो बाद ज्योति का अपने शहर में आना हुआ था। माता पिता के ना रहने ...
आरुषि ने उसकी पसंद के रंग की ड्रेस पहनी, हल्का मेकअप किया, एक बार फिर स्वयं को शीशे में ...
सुबह से घर में एक अफरा तफरी का सा माहौल था । दो महीने छोटे बेटे के घर रहने ...