“मृगमरीचिका”‘वह‘ रवीना को रोज मॉर्निंग वॉक के समय दिखती। दिखती क्या...उसे देखने की आदत ही पड़ गई थी। उसका ...
“आने से उसके आए बहार” पावनी और रवीना सुबह की सैर पर थीं। बचपन की दोनों सहेलियां गप्पे मारती ...
”अधूरी कहानी”एयरपोर्ट की सभी औपचारिकताओं को पार कर, सामान चैक-इन-कांउटर पर जमा करवाकर, चित्रलेखा के हाथ में बोर्डिंग कार्ड ...
“अधिकार”बस अपनी तीब्र रफ्तार से पहाड़ी रास्तों पर भागी जा रही थी. पारुल खिड़की से तेजी से पीछे छूटते ...
”मूंग की खिचड़ी””शुभा, सो गई क्या? लो खाना खालो””खाना..?” पुलकित सी वह फटाफट रजाई फेंक, उठ खड़ी हुई, ”हाँ ...
“परतें”फोन की घंटी बजी। मां का फोन था। “हैलो मां, प्रणाम” लेकिन मां के आशीर्वाद में ही उनका सारा ...
“पेंडुलम”विद्या ने जूते हाथ में लिए, दुपट्टा गले में लपेटा और उठ कर रेत पर नंगे पांव चलने लगी। ...
“मन न भये दस बीस”आरुषि ने ट्रैक सूट पहना कटे बालों को पोनी बना कर हेयर बैंड के हवाले ...
“अंधेरे में खिलता गुलाब”उससे शिवांगी की मुलाकात बैंक में हुई थी अपने डेविट कार्ड में आ रही परेशानी को ...