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छतीसगढ़ के विस्मृत कवि, स्व. शिशुपाल बलदेव यादव मुकुंद दुर्ग

by sushil yadav

22 नवम्बर , १९३३ को दुर्ग में राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी का आगमन हुआ मोती-तालाब मैदान ...

अपनी तो ये आदत है

by sushil yadav

हमारी जुबान को एक धमकी में कोई भी, किसी भी वक्त बंद करवा सकता था एक बार बंद ...

ये तेरी सरकार है पगले .....

by sushil yadav

मुझे ये भी लगा कि, अब ज्यादा भाव खाने से बात बिगडनी शुरू हो जायेगी मेरी स्तिथि ...

आवारा कुत्तों का रोड शो .....

by sushil yadav

हमारा प्रयास होना चाहिए कि रोड-शो के अंजाम को रूबरू देखें शामिल होने वालों की कद-काठी पहचाने ...

टोपी आम आदमी की....

by sushil yadav

सदर बाजार के एक और मारवाड़ी जिनका सोने-चांदी का बिजनेस था,पुरोहित के नक्शे –कदम में टोपी पहना करते थे ...

आइये ‘सरकार’ को हम बाँट लें

by sushil yadav

नहीं बाटने वाली चीजे भी भगवान ने बनाई है वो है ‘उपर की आमदनी’ इस आद्रिश आमदनी को लोग ...

आत्मा-राम की सलाह .....

by sushil yadav

ज़रा सी उनकी छींक –जुकाम में,पार्टी के दफ्तर में ताला जड जाता था पार्टी के लोग ...

पहली सी मुहब्बत, मेरे महबूब न मांग ...........

by sushil yadav

मैंने कहा भाई गनपत ,साफ-साफ कहो ,पहेलियाँ मत बुझाओ वैसे पिछले महीने भर से इलेक्शन वाली ...

सस्पेंडेड थानेदार का इंटरव्यू

by sushil yadav

वो थानेदार इंटरव्यू देने के नाम पे बहुत काइयां है बड़े से बड़ा कॉड हो जाए वो मुह ...

द्रोपदी का चीर हरण

by sushil yadav

हिज हाईनेस ने मंत्री-मंडल से मुखातिब होके पूछा ,कब तक रिपोर्ट मिल जाएगी मंत्री लोग एक-दूसरे ...