vikram kori stories download free PDF

जहाँ से खुद को पाया - 1

by vikram kori

Part .1‎‎गाँव की सुबह हमेशा की तरह शांत थी। हल्की धूप खेतों पर फैल रही थी, हवा में मिट्टी ...

मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 5 (लास्ट पार्ट)

by vikram kori
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‎ PART — 5 : final part‎‎कॉलेज कैंटीन में वो पल जहाँ माहीं टूटकर सवाल पूछ रही थी—‎और सूरज ...

अनकही मोहब्बत - 8 (अंतिम भाग)

by vikram kori
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‎Last part ...8‎‎Simmi दुल्हन के लिबास में सड़क पर भाग रही थी।‎लाल लहंगा मिट्टी में घिस रहा था,‎पैरों में ...

मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 4

by vikram kori
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‎ PART — 4 :‎‎उस रात सूरज जब घर पहुँचा…‎उसकी चाल शांत थी, पर दिल में एक नई आग ...

अनकही मोहब्बत - 7

by vikram kori
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‎‎ Part 7 -‎‎Simmi के पास अब बस कुछ ही दिन बचे थे शादी के।‎घर में हँसी, हल्दी, मेहंदी ...

मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 3

by vikram kori
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‎ PART — 3 :‎‎माहीं की आंखों में डर था…‎वो पहले वाली माहीं नहीं थी —‎जो हँसती थी, खिलखिलाती ...

अनकही मोहब्बत - 6

by vikram kori
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Part 6 —‎‎Simmi के घर अब शादी की तैयारियाँ शुरू हो चुकी थीं।‎घर में रौनक थी… पर उसके दिल ...

अनकही मोहब्बत - 5

by vikram kori
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‎Part 5 —‎‎रोहन अब पहले जैसा नहीं रहा था।‎जिस लड़के की आँखों में कभी चमक थी… अब उनमें थकान ...

मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 2

by vikram kori
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‎ PART — 2 :‎‎‎रात बहुत लंबी थी…‎पर उस रात सूरज सो नहीं पाया।‎उसके कमरे में अंधेरा था, पर ...

अनकही मोहब्बत - 4

by vikram kori
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‎‎‎Part 4 :-‎‎कुछ हफ़्तों तक रोहन और सिमी की दुनिया प्यार, हँसी और उम्मीदों से भरी रही।‎हर शाम उनके ...