Vivek Singh stories download free PDF

जिस्म बिना रूह

by Vivek Singh
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जिस्म बिना रूह(A Body Without Soul)> "इंसान सिर्फ तब तक जिंदा होता है, जब तक उसमें रूह होती है... ...

डाकिया जो कभी नहीं लौटा

by Vivek Singh
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डाकिया जो कभी नहीं लौटालेखक: विवेक सिंहशैली: हॉरर | सस्पेंस | एक ही भाग में पूरी---गांव का नाम था ...

फर्श के नीचे जो सांसें आती हैं

by Vivek Singh
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---फर्श के नीचे जो सांसें आती हैं(एक ख़ौफ़नाक हॉरर कहानी)---“मैंने जब पहली बार वो आवाज़ सुनी… लगा जैसे कोई ...

वो गांव जो नक्शे में नहीं है

by Vivek Singh
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वो गांव जो नक्शे में नहीं है"(एक भटकी हुई रात… जो कभी ख़त्म नहीं हुई)रात के ठीक 8:47 पर, ...

मैंने अपने मरने की वीडियो देखी है

by Vivek Singh
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मैंने अपने मरने की वीडियो देखी है"(एक सिंगल-शॉट हॉरर कहानी – अंत तक सिहर जाओगे)---28 दिसंबर की रात थी। ...

मौन कॉलर

by Vivek Singh
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मौन कॉलररात के दो बज रहे थे। पूरा शहर गहरी नींद में डूबा हुआ था। सड़कों पर सन्नाटा पसरा ...

जलती हुई परछाई

by Vivek Singh
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️ जलती हुई परछाईलेखक: विवेक सिंहरात के दो बज चुके थे। बाहर सुनसान सन्नाटा पसरा था। मीनाक्षी ने बिस्तर ...