Kishanlal Sharma stories download free PDF

गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 20

by किशनलाल शर्मा

और सभी परिवार की तरह रहते थे।इसी मकान से मैने छोटे भाई की शादी की थी।स श्याम वकील होने ...

प्यार की जीत - 5

by किशनलाल शर्मा
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क्या यह उचित होगा।और लीला गहरे सोच में पड़ गयी।अरुण बोला"माँ अगर तू चाहेगी तो तेरी पसन्द की लड़की ...

प्यार की जीत - 4

by किशनलाल शर्मा
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अरुण की बात सुनकर लीला बोली,"लिव इन के बारे में मैने भी सुना है।आजकल शहरों।मे एक नया प्रचलन शुरू ...

प्यार की जीत - 3

by किशनलाल शर्मा
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"क्या मुम्बई में तुम्हारा कोई परिचित हैं"?अरुण ने उससे पूछा था""नही, कोई नही,"अरुणा बोली"और तुम्हारा?""मैं तो मुम्बई ही पहली ...

प्यार की जीत - 2

by किशनलाल शर्मा
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आगे पढ़ेंसुबह चाय की आवाज सुनकर उसकी नींद टूटी थी।उसने मोबाइल में समय देखा।छ बजे थे ट्रेन माधोपुर पर ...

प्यार की जीत - 1

by किशनलाल शर्मा
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अरुण ऑफिस में था तभी फोन आया।उसने उठाया उसकी माँ का था"हां माँ।""तू घर आ जा।""क्यो माँ?""तुझसे बात करनी ...

अधूरा प्यार

by किशनलाल शर्मा
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वेटिंग रूम की खिड़की से उगते सूर्य की किरणें रमन के सामने रखी टेबिल पर पड़कर फर्श को छू ...

बन्धन प्यार का - 44

by किशनलाल शर्मा
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और नरेश ने सुधीर को फोन कर दिया था। सुधीर शाम को नरेश के घर आ गया।नरेश बोला,"तुम दोनों ...

तीन दिन--यादगार पल

by किशनलाल शर्मा
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हर आदमी की जिंदगी में ऐसे पल आते हैं, जिन्हें वह आजीवन नही भूलता।वो पल उसके दिल मे हमेशा ...

बन्धन प्यार का - 43

by किशनलाल शर्मा
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और आगरा घूमने के बाद वे वापस दिल्ली लौट आये थे।और अगले ही दिन मरियम का फोन आ गया,"आज ...