कहानी में एक रिटायर्ड बाबू की इतवार की सुबह का वर्णन है, जब वह अपने बच्चों को इंस्टिट्यूट छोड़ने के लिए उठते हैं। वह थोड़ी देर से जागते हैं और बिना ब्रश किए अपने पहले काम को पूरा करते हैं। इसके बाद, वह अपने सपनों की दुनिया में वापस लौटने की कोशिश करते हैं, लेकिन चाय की मांग पर उनकी पत्नी बिस्तर पर चाय का कप लेकर आ जाती हैं, जो असामान्य है। जब लड़का चाय पीने की कोशिश करता है, तो उसे सपनों की हसीना का अनुभव होता है, जिससे उसके होंठ जल उठते हैं। अंततः, वह चाय पीकर अपने दिन की शुरुआत करता है, जो उसे एक अलग अनुभव प्रदान करता है। इस संक्षिप्त कथा में इतवार की आरामदायक और मजेदार स्थिति को दर्शाया गया है।
इतवार भी शनिच्चर हो सकता है
Mukesh Kumar Sinha द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ
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विवरण
लड़की, एक्सीडेंट, परिवार, बच्चे और प्रेम का घालमेल, व्यंग्यात्मक लहजे में ! इतवार की सुबह तो रिटायर्ड बाबू भी देर से जागते हैं, वो तो लड़का, ओह लड़का नहीं दो जवान होते लड़कों का पापा ही तो था ! थोड़ी देर से ही सही, नींद खुलते ही होम मिनिस्ट्री से आदेश मिला - बच्चों को इंस्टिट्यूट जाना है मेट्रो तक छोड़ आइये !
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