श्री कृष्ण काव्य-कथा के 'जन्म-खंड' में श्री कृष्ण के व्यक्तित्व की गहराई को समझने का प्रयास किया गया है। यह कथा मथुरा से शुरू होती है, जहां कंस का कु-राज चलता है और उसका पिता उग्रसेन कारागृह में बंद है। कंस ने अपने अनाचारों से प्रजा की गरिमा को तार-तार किया है। इस अराजकता से परेशान होकर देव-ऋषि नारद मुनि मथुरा की ओर रुख करते हैं। कथा में श्री कृष्ण के जीवन की विभिन्न लीलाओं और संदेशों को काव्य रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो उनकी अद्वितीयता को दर्शाते हैं।
श्री कृष्ण काव्य कथा - 1
VIJAY KUMAR SHARMA
द्वारा
हिंदी कविता
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विवरण
श्री कृष्ण ऐसा व्यक्तित्व है जिसे जानना और समझना तो हर कोई चाहता है, पर इतिहास से लेकर आज तक, पूर्ण रूप से न तो कोई इसे जान पाया है और शायद ही कोई इसे भविष्य में भी समझ पाए श्री कृष्ण के व्यक्तित्व से, जन्म के पूर्व की परीस्थितियों से लेकर, जन्म होने तक एवं, उसके उपरांत सम्पूर्ण जीवनकाल में घटित विभिन्न परीस्थितियां में विभिन्न लीलाओं के माध्यम से कई सन्देश एवं उपदेश मिलते है जो की उनके व्यक्तित्व को रोचक बनाने के साथ, अदिव्तीय भी बनाते है इन्ही लीलाओ के माध्यम से दिए गए विभिन्न संदेशो को इस ‘कृ
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