"ठेस" कहानी में, गाँव के किसान सिरचन को उसकी कामचोरी और मुफ्तखोरी के लिए तिरस्कृत किया जाता है। लोग उसे बेकार समझते हैं और खेतों में काम के लिए नहीं बुलाते। एक समय था जब सिरचन की कारीगरी की बहुत तारीफ होती थी, लेकिन अब उसकी स्थिति बदल गई है। उसकी माँ जब उसे बुलाती है, तो उसे खाने के लिए विशेष भोग की बात नहीं करनी पड़ती। सिरचन एक जाति के कारीगर हैं और उनका काम बहुत पारंपरिक है। कहानी में उनकी परछाईं और गाँव वालों के प्रति उनके व्यवहार का चित्रण किया गया है, जो उनके पूर्व की प्रतिष्ठा और वर्तमान की उपेक्षा को दर्शाता है।
ठेस
Phanishwar Nath Renu
द्वारा
हिंदी लघुकथा
Five Stars
7.1k Downloads
34.9k Views
विवरण
खेती-बारी के समय, गाँव के किसान सिरचन की गिनती नहीं करते. लोग उसको बेकार ही नहीं, बेगार समझते हैं. इसलिए, खेत-खलिहान की मजदूरी के लिए कोई नहीं बुलाने जाता है सिरचन को. क्या होगा, उसको बुलाकर दूसरे मजदूर खेत पहुँच कर एक-तिहाई काम कर चुकेंगे, तब कहीं सिरचन राय हाथ में खुरपी डुलाता दिखाई पड़ेगा- पगडण्डी पर तौल तौल कर पाँव रखता हुआ, धीरे-धीरे. मुफ्त में मजदूरी देनी हो तो और बात है.
More Likes This
अन्य रसप्रद विकल्प
- हिंदी लघुकथा
- हिंदी आध्यात्मिक कथा
- हिंदी फिक्शन कहानी
- हिंदी प्रेरक कथा
- हिंदी क्लासिक कहानियां
- हिंदी बाल कथाएँ
- हिंदी हास्य कथाएं
- हिंदी पत्रिका
- हिंदी कविता
- हिंदी यात्रा विशेष
- हिंदी महिला विशेष
- हिंदी नाटक
- हिंदी प्रेम कथाएँ
- हिंदी जासूसी कहानी
- हिंदी सामाजिक कहानियां
- हिंदी रोमांचक कहानियाँ
- हिंदी मानवीय विज्ञान
- हिंदी मनोविज्ञान
- हिंदी स्वास्थ्य
- हिंदी जीवनी
- हिंदी पकाने की विधि
- हिंदी पत्र
- हिंदी डरावनी कहानी
- हिंदी फिल्म समीक्षा
- हिंदी पौराणिक कथा
- हिंदी पुस्तक समीक्षाएं
- हिंदी थ्रिलर
- हिंदी कल्पित-विज्ञान
- हिंदी व्यापार
- हिंदी खेल
- हिंदी जानवरों
- हिंदी ज्योतिष शास्त्र
- हिंदी विज्ञान
- हिंदी कुछ भी
- हिंदी क्राइम कहानी