इस कहानी में यह बताया गया है कि कैसे लोग आजकल मोबाइल और सोशल मीडिया के साथ इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे एक-दूसरे से संवाद करने के बजाय केवल टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से बातचीत कर रहे हैं। घर के सभी सदस्य एक साथ बैठे होते हैं, लेकिन हर कोई अपने-अपने मोबाइल में खोया रहता है, जिससे पारिवारिक संबंधों में दूरी आ रही है। कहानीकार ने एक उदाहरण दिया जब उसने अपने बेटे को कई बार बुलाया, लेकिन उसने केवल व्हाट्सएप पर पढ़ाई का जवाब दिया। यह दिखाता है कि सोशल मीडिया ने न केवल रिश्तों को प्रभावित किया है, बल्कि दूर के लोगों को भी करीबी दोस्त बना दिया है। हालांकि, परिवार के सदस्य खुश हैं और एक-दूसरे को रोकने-टोकने की बजाय स्वतंत्रता का अनुभव कर रहे हैं। लेकिन कहानीकार को अपनी बोलने की क्षमता की चिंता है, क्योंकि वह सोचती है कि अगर लोग बातचीत नहीं करेंगे, तो क्या उसकी जीभ भी उपयोग में नहीं आएगी। कहानी एक महत्वपूर्ण सवाल उठाती है कि क्या यह डिजिटल युग हमारे पारिवारिक संबंधों और संवाद को कमजोर कर रहा है, और क्या हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
अक्षर उग रहे है, स्वर बंजर हुए
सुनीता शानू द्वारा हिंदी हास्य कथाएं
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Akshar Ugh Rahe Hain, Swar Banjar Hue
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