कहानी में एक व्यक्ति अपने बचपन की यादों को साझा करता है जब वह अपने गाँव को छोड़कर शहर में पढ़ाई करने आया। वह परिवार में सबसे छोटा था और गाँव में अपने दादा, दादी, माँ और तीन बड़ी बहनों के साथ रहता था। उसकी माँ और बहनों ने उसे शहर भेजने का निर्णय लिया ताकि वह गलत संगति में न पड़ जाए। शहर में उसके चाचा और पिता का परिवार था। वहाँ उसे सभी सदस्य सलाह देते थे कि उसे कैसे रहना चाहिए, क्योंकि उसके पिता रक्षा मंत्रालय में उच्च पद पर थे और सख्त थे। वह खुद को पिता से दूर मानता था और सोचता था कि पिता में ऐसा क्या है जो उसे नहीं पता। धीरे-धीरे वह उनके सख्त स्वभाव को समझने लगता है।
पापा आ गए... - पापा आ गए....
Abhijeet Yadav
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
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विवरण
कभी कभी जब हम इस जिंदगी की भाग दौड़ को पीछे छोड़ एकांत में कुछ पल बिताते है तो बहुत से सुलझे अनसुलझे सवालों से हमारा सामना होता है।जैसे की जब भी हम कभी बीती बातों को गौर करते है, तो पाते है कि, अरे! ऐसा भी होता है।भूत में हुए उन सभी खट्टी मीठी यादों को यथार्त में गौर करना ही पुनरावृति है, जैसे कि...."मैं" बचपन में जब अपनी जन्मस्थली यानी की गाँव को छोड़ आगे की पढ़ाई के लिए शहर आया तो कँहा जानता था कि, जिंदगी का यह नया अध्याय मेरी जिंदगी में बहुत से रोमांच पैदा
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