आज मैंने सूरज निकलने के बाद उठकर पिता जी की डांट का डर महसूस किया, लेकिन दिन खास लग रहा था। उत्साह और उमंग का अनुभव हो रहा था, जिसका कारण समझ में नहीं आ रहा था। मैंने पेपर पढ़ने की कोशिश की, लेकिन वह पिता जी के हाथ में था। आखिरकार, पेपर मेरे पास आया, लेकिन उसमें कुछ खास नहीं था। इसी बीच, मुझे पता चला कि आज मेरा जन्मदिन है, जिससे खुशी और उत्साह का माहौल बना। बर्थडे के बाद स्कूल जाने की तैयारी शुरू की, लेकिन वहाँ बैठने की समस्या का सामना करना पड़ा। मैं स्कूल में पढ़ाई में कमजोर था और हमेशा कक्षा से बाहर निकलने के बहाने ढूंढता था। शिक्षक ने मुझसे पूछताछ की, और मैं बहाने बनाने लगा। कक्षा की घंटी बजने पर घर जाने की आजादी का अनुभव होता था। इस तरह, मैंने स्कूल जाने की मजबूरी को सहा।
जिंदगी .....एक मोड़
Apurva Raghuvansh
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
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विवरण
आज भी मैं सूरज निकलने के बाद उठा और पिता जी की डांट पढ़ने का डर मन में लेकर उठा लेकिन वह दिन कोई त्योहार से कम नहीं लग रहा था l लेकिन मन में इतना उत्साह और उमंग पहले नहीं था, कारण क्या है पता नहीं l रोज की तरह उठा और मंजन करने के बाद पेपर पढ़ने की तलब लग गई लेकिन पेपर पिताजी के हाथ में था और इतनी भी शक्ति नहीं थी कि पिताजी से पेपर मांग सकूं और सुबह मुझे एक बार फिर आज इंतजार कितना कठिन होता है यह मालूम पड़ गयाइधर-उधर घूमने के
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