कहानी "वर्दी वाली बीवी" में लेखक अपने दोस्त त्रिलोकी के साथ सेवाग्राम की यात्रा कर रहे हैं। सेवाग्राम का नाम सुनकर लेखक को अपने दादाजी की याद आती है, जिन्होंने महात्मा गांधी के साथ यहां कुछ समय बिताया था। वे याद करते हैं कि यह आश्रम स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, जहां कई रचनात्मक और सामाजिक सुधार कार्य हुए थे। त्रिलोकी लेखक की बातों से प्रभावित होकर सुझाव देते हैं कि वे जल्द ही इस आश्रम की यात्रा करें। यात्रा के दौरान लेखक थोड़ी देर के लिए सो जाते हैं और जब उनकी नींद टूटती है, तो त्रिलोकी उन्हें जगाते हैं। लेखक बाहर के दृश्य को देखकर खुश होते हैं और कहानी इस तरह आगे बढ़ती है।
वर्दी वाली बीवी - 2
Arpan Kumar
द्वारा
हिंदी लघुकथा
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विवरण
‘सेवाग्राम’ नाम सुनते ही मैं लिखना छोड़ बाहर देखने लगा। इस जगह से देश का इतिहास और मेरे बचपन की यादें दोनों जुड़ी हुई हैं। जब जब इस जगह से गुजरना होता है, मन अपने राष्ट्रपिता को याद करके भावुक हो जाता है। मैं त्रिलोकी से कहने लगा, “ देखिए, बातों ही बातों में हमलोग लगभग 80 किलोमीटर की यात्रा कर चुके। आपको बताऊँ त्रिलोकी साहब, मेरे दादाजी ने इस सेवाग्राम आश्रम में बापू के साथ कुछ दिन गुजारे थे। साबरमती के बाद महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित यह दूसरा महत्वपूर्ण आश्रम है ।
तेलंगाना एक्सप्रेस लेट हो गई है। पौने दस बजे की जगह अब पौने बारह में चलेगी। मैं वेटिंग रूम में बैठा हुआ था। सहसा, एक चिर-परिचित चेहरे पर मेरी नज़र गई।...
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