की भरमार हो गई है। ये फेसबुकिया बुद्धिजीवी केवल सोचते हैं और अपने विचारों को सोशल मीडिया पर साझा करते हैं। वे हर मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हैं, लेकिन वास्तविकता में कोई सक्रिय कदम नहीं उठाते। उनका जीवन केवल विचारों और बहसों में व्यतीत होता है, जबकि वे वास्तविकता से दूर रहते हैं। पहले के बुद्धिजीवी सिगरेट और शराब के साथ बहस करते थे, जबकि आज के बुद्धिजीवी फेसबुक के माध्यम से अपनी सोच को साझा कर रहे हैं। यह कहानी उन बुद्धिजीवियों के बारे में है जो केवल सोचते हैं, लेकिन कुछ करने का साहस नहीं रखते।
फेसबुकिया बुद्धिजीवी
Arvind Kumar
द्वारा
हिंदी हास्य कथाएं
Four Stars
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विवरण
फेसबुक ने आज न सिर्फ लोगों को सामाजिक रूप से एक दूसरे से जुड़ने का अवसर दिया है, बल्कि लोगों को अपने विचारों को अभियक्त करने के लिए एक सुगम मंच भी प्रदान किया है. पर इसी फेसबुक ने कुछ लोगों को एक ऐसा बुद्धिजीवी भी बना दिया है, जो कुछ करते धरते नहीं है, पर अपने आप को हर विषय का ज्ञाता समझते हैं. मेरा यह व्यंग्य ऐसे ही लोगों पर भरपूर तंज़ कसता है.
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