श्रीकान्त अंकल जी के परिवार ने उनकी देखभाल शुरू की और धीरे-धीरे उनकी चोट ठीक हो गई। हालांकि, उनकी नौकरी छूट गई जिससे परिवार में पैसे की तंगी हो गई। सभी सदस्य छोटे-मोटे काम करने लगे, यहां तक कि उनका छोटा बेटा भी ढाबे पर बर्तन धोने लगा। श्रीकान्त अंकल जी भले ही स्वस्थ हो गए, लेकिन कभी-कभी उनके सिर में तेज दर्द होता था, जिसके कारण वे नौकरी नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने परिवार में अपनी इच्छा व्यक्त की कि सभी काम कर रहे हैं और उन्हें भी कुछ करना चाहिए।
ग़रीबी के आचरण - ४
Manjeet Singh Gauhar द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी
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विवरण
श्रीकान्त अंकल जी के परिवार के सभी सदस्य उनकी अच्छे से देख-भाल करने लगे। कुछ समय के बाद श्रीकान्त अंकल जी को आराम लगने लगा। उनकी सिर की चोट ठीक हो गई। और धीरे-धीरे वो पहले जैसे स्वस्थ हो गये। और इसी बीच श्रीकान्त अंकल जी की नौकरी छूट गयी, क्योंकि उनके चोट लगने के कारण उन्हें काफी दिनों के लिए अवकाश पर रहना पड़ा। और घर में बहुत ही ज़्यादा पैसों की तंगी रहने लगी। जिसके कारण श्रीकान्त अंकल जी और उनकी मॉं को छोड़ कर बाकि घर के सभी लोग छोटे-मोटे काम करने लगे। यहाँ तक की श्रीकान्त
इस संसार में सभी तरह के प्राणी रहते हैं। इन सभी प्राणियों में से एक प्राणी इन्सान भी है। जो भगवान द्वारा बनाई गयी सभी चीज़ों में बहुत ही ज़्यादा खूबसू...
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