इस कहानी में दुर्गा और निहाल के बीच के रिश्ते की गहराई और उनके जीवन में आ रही परेशानियों का वर्णन किया गया है। जेठ माह की एक गर्म रात में दुर्गा की आंख अचानक खुलती है और उसे निहाल का अहसास होता है, जो उसे राहत देता है। दोनों का संबंध एक शादी के दौरान शुरू हुआ था, जहाँ वे एक साथ काम कर रहे थे। धीरे-धीरे उनका रिश्ता गहरा होता गया और उन्होंने शादी कर ली। दुर्गा और निहाल अपनी कला के दम पर खुशहाल जीवन जी रहे थे, लेकिन उनकी खुशियों पर उनकी नकारात्मक सोच रखने वाली निहाल की बहन सुरसतिया की नजर लग गई। सुरसतिया दुर्गा से जलती थी और दोनों को लड़ाने के लिए बहाने ढूंढती थी। कहानी में दुर्गा और निहाल के रिश्ते की मिठास और सुरसतिया की जलन के बीच का संघर्ष दर्शाया गया है।
दरका आइना
Renu Gupta
द्वारा
हिंदी लघुकथा
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विवरण
जेठ माह की तपती आग उगलती लंबी रात थी। हवा में बेहद तपिश थी। दुर्गा की टीन-टप्पर की बनी खोली में एक भी खिडक़ी नहीं थी। रात को टीन का दरवाजा जो बंद होता तो पूरी खोली जैसे दमघोंटू भट्टी बन जाती। अभी-अभी उमस भरी शिद्दत की गर्मी में पसीना-पसीना होकर दुर्गा की आंख अचानक खुल गई और आदतन उसका हाथ बगल की खटिया पर गया था। लेकिन आशा के विपरीत जब उसका हाथ निहाल से छू गया तो वह चिंहुक उठी। निहाल.... आज निहाल यहां है, नींद की खुमारी से उबरते हुए उसने सोचा। निहाल को अपने पास देखकर
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