Bahikhata - 41 book and story is written by Subhash Neerav in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bahikhata - 41 is also popular in Biography in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बहीखाता - 41
Subhash Neerav
द्वारा
हिंदी जीवनी
Four Stars
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विवरण
बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 41 घर की परिभाषा मैं दो सप्ताह अमेरिका में रही। जसवीर के साथ बातें करके तरोताज़ा हो गई। जितने दिन अमेरिका में रही चंदन साहब गै़र-हाज़िर रहे। परंतु गै़र-हाज़िर भी कहाँ थे, हर समय तो उन्हीं की बातें, हर वक्त उन्हीं के सपने। चीख-चिल्लाहट, धुआँ, शराब की गंध तथा और पता नहीं कितना कुछ। वापस वुल्वरहैंप्टन पहुँचकर फिर से वही सब कुछ। फिर भी खुश थी कि अपने लोगों के बीच आ गई। चंदन साहब के बग़ैर सारा शहर ही अपना लगता था। हर कोई प्यार देता था। हर किसी को
पहला कदम
बचपन की पहली याद के बारे में सोचती हूँ तो मुँह पर ठांय-से पड़े एक ज़ोरदार थप्पड़ की याद आ जाती है। इस थप्पड़ से पहले की कुछ यादें अवश्य हैं, प...
बचपन की पहली याद के बारे में सोचती हूँ तो मुँह पर ठांय-से पड़े एक ज़ोरदार थप्पड़ की याद आ जाती है। इस थप्पड़ से पहले की कुछ यादें अवश्य हैं, प...
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