Anjane lakshy ki yatra pe - 28 book and story is written by Mirza Hafiz Baig in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Anjane lakshy ki yatra pe - 28 is also popular in Adventure Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे - भाग 28
Mirza Hafiz Baig
द्वारा
हिंदी रोमांचक कहानियाँ
Four Stars
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विवरण
अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे- भाग-28 कल्पना और यथार्थ बात सच थी और चिंतनीय भी। उसने अब तक अपनी कथा से ही इन्हें एक सीमा तक बांधे रखा था। कथा का यूं समाप्त होना तो ऐसे था मानो भूखे शेरों का अचानक उठ खड़े होना। अब इन्हे कैसे नियंत्रित किया जाये? इस बात से अधिक अभी उसे इस बात की चिंता थी कि इनके चंगुल से निकलकर भागा कैसे जाये? “उसने अपना वचन तोड़ा था। और यह न भूलो कि मुझे छोड़कर वह गई थी, मैं उसे छोड़कर नहीं गया था।” व्यापारी को अपने स्पष्टीकरण
व्यापारी ने बूढ़े की खूब आव भगत की और कुत्ते को भी बहुत अच्छी तरह अलग कमरे मे रखा । और अपने नौकरो को उन दोनो की सेवा मे लगा दिया । आखिर वह बूढ़ा सन्तुष्...
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