Ek Yatra Samanantar - 1 book and story is written by Gopal Mathur in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ek Yatra Samanantar - 1 is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एक यात्रा समानान्तर - 1
Gopal Mathur
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
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विवरण
गोपाल माथुर 1 वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे पर लटका छोटा सा बैग भी बोझ लगने लगता है. थकान.... टूटन...... भीतर ही भीतर कुछ घुटने लगता है. वह व्यर्थ ही वहाँ आ गई है, यह अहसास उसे आते ही होने लगा था. यात्रा से पूर्व जो हल्का सा उत्साह था, वह भी आहिस्ता आहिस्ता मरने लगा है...... निखिल अपनी पत्नि अपर्णा के साथ है और मनोज अपनी मित्र शिखा के साथ.... ये लोग व्यर्थ उसे अपने साथ घसीट लाए हैं. वह कब तक यूँ ही घिसटती रहेगी ? ....शायद
वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे पर लटका छोटा सा बैग भी बोझ लगने लगता है. थकान.... टूटन...... भीतर ही भीतर कु...
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