Yugantar - 37 book and story is written by Dilbag Singh Virk in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Yugantar - 37 is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
युगांतर - भाग 37
Dr. Dilbag Singh Virk
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
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विवरण
हर काम की शुरुआत मुश्किल होती है और जब किसी काम की शुरुआत हो जाती है, तो रास्ता अपने आप बनना शुरू हो जाता है। स्मैक के आम होने से हर आदमी दुखी था। सबको डर सताता था कि कहीं उनके बच्चे इसके आदी न हो जाएँ। बहुतों के हो चुके थे। स्मैक के कारण लूट-पाट भी बढ़ी थी। पुलिस को इसकी खबर न होगी, यह हो ही नहीं सकता, लेकिन वह चुप थी। चुप्पी का कारण भी सबको पता था कि पुलिसवालों तक उनका हिस्सा यथासमय पहुँच रहा था। इतना होने के बावजूद कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा
हर अन्याय का अंत होता है, ग़लत कार्य करने वालों को सज़ा मिलती है। देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं चलता। गलत पर सत्य की जीत ही असली युगांतर होता है। इस...
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