इस कहानी में मनोज नामक एक व्यक्ति की स्थिति को दर्शाया गया है, जो विवाह के दिन भी स्वास्थ्य की खराब स्थिति में है। वह काला और दुबला है, और बुखार के कारण उसकी मासूमियत में भी कमी आ गई है। उसकी पत्नी उसे बथुआ, पालक और गाजर देती है, लेकिन मनोज की हालत दिन-ब-दिन deteriorate होती जा रही है। मनोज को सुबह चाय की मांग करने में भी कठिनाई होती है और वह थका हुआ और अनमना दिखाई देता है। उसकी पत्नी को चिंता होती है, और वह उसे डॉक्टर के पास ले जाने की कोशिश करती है, लेकिन मनोज खुद को ठीक बताता है। वह काम में भी मन नहीं लगा पा रहा है और पढ़ाई से भी अरुचि हो गई है। एक रात, जब उनका बेटा अवि सो जाता है, मनोज अपनी पत्नी के पास आता है और उसे बताता है कि वह उसमें अपनी माँ को खोजता है। यह बात उसे थोड़ी असहज लगती है, लेकिन वह इसे स्वीकार करती है। कहानी में मनोज की मानसिक स्थिति और उसके संबंधों की जटिलता को दर्शाया गया है, जिसमें प्यार, चिंता, और पारिवारिक जिम्मेदारियों का मिश्रण है। अंत में, मनोज अपनी पत्नी से एक गहरी बात साझा करता है, जो उनके बीच के संबंधों को और भी जटिल बनाता है।
nahi pratidan nahi
Shesh Amit
द्वारा
हिंदी लघुकथा
Four Stars
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विवरण
नहीं प्रतिदान नहीं हर आदमी के अन्दर एक कामना रह जाती है, वह है अपना सर्वस्व सोंप देने की इच्छा ! कुछ एसी बात है इस कहानी मै जो कुछ सिखा जाती है ! जीवन जीने का शायद नजरिया वदल दे !
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