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બદનામ રાજા
જીંદગીની સફરમાં બહુ ઓછાં એવાં લોકો મળશે, જેની પાસે છાયામાં ચાલવાનો વિકલ્પ હોવા છતાંય તમારી સાથે તડકામાં ચાલે...
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Raju kumar Chaudhary
भगवद गीता – विस्तृत पुस्तक समीक्षा
भगवद गीता, जिसे अक्सर “गीता” कहा जाता है, भारतीय दर्शन और धर्म का एक अनमोल ग्रंथ है। यह महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है और इसमें कुल 700 श्लोक हैं। गीता का संवाद कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि पर अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच होता है। जब अर्जुन अपने सगे संबंधियों और गुरुजनों के विरुद्ध युद्ध करने की स्थिति में आते हैं, तब उनमें नैतिक और मानसिक द्वंद्व उत्पन्न होता है। इसी समय श्रीकृष्ण उन्हें जीवन, धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं। गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है; यह जीवन को समझने, संघर्ष का सामना करने और सही निर्णय लेने की कला सिखाती है।
मुख्य संदेश और विषय
गीता का प्रमुख संदेश है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करना चाहिए, लेकिन कर्म के फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। इसे कर्मयोग कहा गया है। यह जीवन का एक ऐसा सिद्धांत है जो किसी भी व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। इसके अनुसार, कर्म करना प्रत्येक व्यक्ति का धर्म है, और कर्मफल से आसक्ति छोड़ना ही सच्चा ज्ञान है।
भक्तियोग भी गीता का महत्वपूर्ण भाग है। इसमें भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति को सर्वोच्च माना गया है। व्यक्ति जब पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ ईश्वर को स्मरण करता है और अपने कार्यों को समर्पित करता है, तो उसे मानसिक शांति, आनंद और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं है; यह जीवन में समर्पण, सेवा और सच्चाई का मार्ग है।
ज्ञानयोग के माध्यम से गीता आत्मा, जीवन, मृत्यु और सृष्टि के रहस्यों की व्याख्या करती है। इसमें बताया गया है कि आत्मा अमर और नित्य है, जन्म और मृत्यु केवल शरीर की सीमितता का परिणाम है। व्यक्ति जब इस सत्य को समझता है, तब वह भय, दुःख और संदेह से मुक्त होकर जीवन में सच्ची स्थिरता प्राप्त करता है।
गीता में संघर्ष और निर्णय लेने की कला भी सिखाई गई है। अर्जुन के द्वंद्व के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि कठिन परिस्थितियों में भी व्यक्ति को अपने धर्म और कर्तव्य का पालन करना चाहिए। चाहे परिस्थिति कितनी ही चुनौतीपूर्ण क्यों न हो, यदि व्यक्ति धर्मपरायण और निष्ठावान है, तो वह सही निर्णय ले सकता है।
गीता का संतुलन और मानसिक स्थिरता पर भी विशेष जोर है। सुख-दुःख, सफलता-पराजय में संतुलित रहना और अपने मन को नियंत्रित करना सच्चे योग का प्रतीक है। यह हमें बताती है कि जीवन में भावनाओं के अधीन होने से बचना चाहिए और कर्म, भक्ति और ज्ञान के माध्यम से अपने मन और आत्मा को नियंत्रित करना चाहिए।
लेखन शैली और प्रभाव
भगवद गीता की लेखन शैली अत्यंत प्रभावशाली, सरल और गहन है। श्लोकों में जीवन के हर पहलू को संक्षिप्त, परंतु स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसमें दर्शन और व्यवहार का समन्वय है, जिससे पाठक न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि व्यावहारिक दृष्टि से भी मार्गदर्शित होता है। गीता का प्रभाव भारतीय संस्कृति और दर्शन में अद्वितीय है।
इस ग्रंथ ने महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, एल्बर्ट आइंस्टीन, और कई वैश्विक चिंतकों को प्रभावित किया है। गांधीजी ने इसे अपने जीवन का मार्गदर्शक माना और इसे “दैनिक जीवन के लिए एक अनमोल सूत्र” कहा। गीता की शिक्षाएँ आज भी वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक हैं, चाहे वह व्यक्तिगत जीवन, सामाजिक जिम्मेदारियाँ, व्यावसायिक निर्णय या मानसिक संघर्ष हों।
आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता
आज के तनावपूर्ण और प्रतिस्पर्धात्मक जीवन में भगवद गीता की शिक्षाएँ अत्यंत उपयोगी हैं। यह हमें सिखाती है कि:
कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।
कर्म के फल से आसक्ति त्यागकर मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है।
ईश्वर में भक्ति और आत्मा के ज्ञान से जीवन में संतुलन और स्थिरता आती है।
मन और भावनाओं पर नियंत्रण रखना, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है।
गीता हमें यह भी समझाती है कि आत्मा नित्य और अमर है। इसलिए मृत्यु और असफलताओं से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इससे व्यक्ति जीवन में साहस, आत्मविश्वास और निष्ठा के साथ आगे बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
भगवद गीता न केवल धार्मिक या आध्यात्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन जीने की कला, नैतिकता, संघर्ष और मानसिक स्थिरता का मार्गदर्शन भी देती है। यह व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करने, भक्ति, ज्ञान और योग के माध्यम से जीवन में संतुलन और स्थिरता प्राप्त करने की शिक्षा देती है। इसे पढ़कर व्यक्ति न केवल आध्यात्मिक रूप से विकसित होता है, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में भी सफलता और मानसिक शांति पा सकता है।
सारांश में, भगवद गीता जीवन की एक पूर्ण मार्गदर्शिका है। यह हमें कर्मयोग, भक्ति, ज्ञान और योग का महत्व समझाती है। जीवन में सही दिशा, संतुलन और आत्म-विश्वास पाने के लिए यह ग्रंथ अनिवार्य है। हर व्यक्ति के लिए इसे पढ़ना, समझना और जीवन में लागू करना अत्यंत लाभकारी है।
भगवद गीता – पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम: भगवद गीता
लेखक: महर्षि वेदव्यास (महाभारत का हिस्सा)
भाषा: संस्कृत (अनुवादित कई भाषाओं में)
शैली: दर्शन, आध्यात्मिकता, जीवनोपयोगी ज्ञान
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समीक्षा:
भगवद गीता भारतीय संस्कृति और दर्शन का एक अनमोल ग्रंथ है। यह महाभारत के युद्धभूमि कुरुक्षेत्र में अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के संवाद के रूप में प्रस्तुत है। अर्जुन जब अपने कर्तव्यों और नैतिकता को लेकर संकट में होते हैं, तब श्रीकृष्ण उन्हें जीवन, धर्म और कर्म का सही मार्ग दिखाते हैं।
गीता के मुख्य संदेश हैं:
1. कर्मयोग: अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करो, लेकिन उनके परिणाम से आसक्त मत रहो।
2. भक्तियोग: ईश्वर में विश्वास और भक्ति जीवन को आध्यात्मिक रूप से संतुलित करती है।
3. ज्ञानयोग: आत्मा की पहचान, जीवन और मृत्यु का ज्ञान प्राप्त कर व्यक्ति सच्चा ज्ञान हासिल कर सकता है।
4. आत्म-नियंत्रण और संतुलन: सुख-दुःख, सफलता-पराजय में संतुलित रहना सच्चे योग का मार्ग है।
गीता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन देती है। यह मानसिक शांति, आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाती है।
लिखने की शैली:
गीता सरल, गहन और प्रेरणादायक शैली में लिखी गई है। श्लोकों के माध्यम से यह दर्शन और व्यवहारिक जीवन का संपूर्ण मार्गदर्शन देती है।
प्रभाव और महत्व:
गीता ने महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, एल्बर्ट आइंस्टीन, और कई विश्वदर्शियों को प्रभावित किया है। आज भी यह ग्रंथ व्यक्तिगत जीवन, व्यावसायिक निर्णय और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रासंगिक है।
निष्कर्ष:
भगवद गीता जीवन में सही दिशा दिखाने वाला, प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक ग्रंथ है। इसे पढ़ना न केवल आत्मिक विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुलन और स्थिरता भी प्रदान करता है।
Mitul Prajapati
ઠંડો લહેરાતો પવન ને ગુલાબી ઠંડી ની વાત,
હાથ માં હાથ ને આંગળીઓના આલિંગની વાત,
નજરો માંડી આકાશે નવરાશ લઈ બેઠા પાળીએ,
માથું તારું ખભો મારો ને હેમંત ની ચાંદની રાત...
- કુંભાર
Raju kumar Chaudhary
rkcglobalresearchcentre
Miss writer
waqt ne samjhaya ki mout koi saza nahi,
kyuki jab sab ruth jaye,
jab har chiz haar jao,
tab wahi ek chiz hai jo humse khafa nahi.
Meera Singh
सदा खुश रहे तू
उसके बदले पूरा ये जीवन हमारा हो
मन में तुम्हारे सदा खुशियों के फूल खिले
भले उन्हें मेरे ही आंसूओं से सींच जाना हो।।
मीरा सिंह
Agyat Agyani
वेदांत 2.0 — जीवन का असली खेल ✧
1️⃣ धन, सत्ता, सिद्धि — सब मामूली चीजें हैं
ये मिल भी जाएँ तो क्या?
अगर प्रेम नहीं, शांति नहीं, आनंद नहीं —
तो सब बेकार।
विज्ञान = शक्ति
आनंद = उद्देश्य
2️⃣ सृष्टि में कोई गलती नहीं
जो गलत दिख रहा है —
उसका समाधान अस्तित्व के पास तैयार है।
मनुष्य बस ज़िद से लड़ रहा है।
> मनुष्य कहता है: “मैं जीतूँगा।”
अस्तित्व मुस्कुराता है: “मैं खेल चलाता हूँ।”
3️⃣ अस्तित्व ही असली खिलाड़ी है
हम सब — प्यादे, हाथी, वज़ीर, राजा
लेकिन मालिक कोई और है।
जैसे शतरंज में मोहरे बदलते रहते हैं —
लेकिन खेल एक ही खिलाड़ी खेलता है।
> तू खुद को मालिक मत समझ।
तू खेल का हिस्सा है,
खिलाड़ी नहीं।
4️⃣ जीतना लक्ष्य नहीं — देखना लक्ष्य है
जिस दिन मनुष्य खेल को देखना सीख ले —
उसी दिन वह खेल के ऊपर उठ जाता है।
यही दृष्टा होना है।
5️⃣ दुनिया का अहंकार — असली मूर्खता
नेता, अभिनेता, संत, अमीर —
सब खुद को विजेता समझते हैं।
लेकिन असलियत?
> वे मोहरे हैं।
चाल कोई और चलता है।
6️⃣ सृष्टि के साथ मित्रता — यही भक्ति
अस्तित्व से लड़ना पागलपन है।
अस्तित्व के साथ नृत्य — मोक्ष है।
7️⃣ प्रेम = विजय
जो प्रेम में जीता — वही असल में जीता।
बाकी सब लोग तो सिर्फ़ भाग रहे हैं।
---
✧ अंतिम सूत्र — एक वाक्य में ✧
> जीतना जरूरी नहीं।
खेल को प्रेम से खेलना — यही परम जीत है।
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✧ यही तो वेदांत 2.0 है ✧
खेल को देखो
खेल में प्रेम से भाग लो
खेल के माध्यम से मौन को छुओ
और अंत में खेल से ऊपर उठ जाओ
यही संन्यास,
यही समाधि,
यही मोक्ष,
यही जीवन की पूर्णता।
Arkan
हेलो दोस्तों
यह i'd मै बेच रहा हूं जिसे भी चाहिए वह मुझे मैसेज करे | 7376491895
Hardik Boricha
तेरी ख़ैरियत का ही जिक्र रहता है
दुआओं मे,
मसला सिर्फ मोहब्बत का ही नहीं
फिक्र का भी है| ❤️
Archana Singh
" जैसें घृत के बिना ,
दीपक जल नहीं सकतें ...
वैसे ही हम ,
अपनों के बिना जी नहीं सकतें " !
अर्चना सिंह ✍🏻
- Archana Singh
Archana Singh
" जो शब्द बोल दिए
वो सिर्फ शब्द हैं ...!
जो कहना चाहते थे ,
फिर भी हमने नहीं कहे,
वो मर्यादा हैं " ...!!
अर्चना सिंह ✍🏻
- Archana Singh
Mamta Trivedi
नमस्ते, पूरा लेख पढ़ने के लिए देखिए ममता गिरीश त्रिवेदी वर्ड प्रेस डॉट कॉम पर
AI तकनीक सीखने का जोर अब किसी विषय का विकल्प नहीं रहा,
बल्कि एक नई साक्षरता
"Mamta Girish Trivedi" https://mamtagtblogs.wordpress.com
Shikha
একটু ভেবো
জানি তুমি শকুনিকে
খারাপ বলছ খুব—
অতীতটা একবার
ঘেঁটে তো দেখো!
সেও তো ছিল রাজপুত্র,
গর্বে ভরা এক বংশের সন্তান।
জানো কি—
কেমন করে তাকে
দুর্ভাগ্যের আগুনে পুড়িয়ে
দিল সবাই ?
- কলমে শিক্ষা
Ajit
બધી યાતનાઓ સહન કરવા હું તૈયાર છું મહોબ્બતમાં........
મેં સાચી મહોબ્બત કરવાની જીગર કરી છે.......
જિંદગી ની "યાદ"
Gajendra Kudmate
गुल देखा गुलशन देखा
बहार भी देखी है हमनें
लबों पर लाली सीनें में
कटार भी देखी है हमनें
गजेंद्र
krupa
" શોધ "
~એક સારા જીવન ની...
અને જીવન માં ભાગ ભજવતા લોકો ની..
~super speed માં ભાગતા સમય ની...
અને આ સમય માં સાથ આપતા લોકો ની...
~શોધ...એક સારા સમય ની...
તો ક્યારેક સારા માર્ક્સ ની..
~શોધ...એક ન દેખાતી આશા ની...
અને આ આશા ને જીવતી રાખનાર લોકો ની...
~શોધ...શાંત મન અને સ્વસ્થ તન ની ...
અને એનું સંભાળ રાખનાર લોકો ની...
~શોધ...એક સારા પ્રસંગ ની ...
અને પ્રસંગ માં ઘટનાર યાદો ની...
~શોધ...યાદો માં ભાગ ભજવનાર લોકો ની..
અને યાદો તાજા રાખનાર લોકો ની...
~શોધ...મારી અને મારા હાસ્ય ની...
અને મને પાછી શોધનાર લોકો ની..
~શોધ..એક સારા જીવન ની ...
અને જીવન માં ભાગ ભજવતા લોકો ની...
Nisha ankahi
तेरी गैरहाज़िरी ने एक सच सिखा दिया
कुछ रिश्ते टूटते नहीं,
बस इतने ओझल हो जाते हैं
कि फिर खुद को भी दिखाई नहीं देते।
- Nisha ankahi
Jyoti Gupta
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Raju kumar Chaudhary
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Rahul Raaj
एक हार मेरी ऐसी भी होगी..
जिसमें जीतोगे तुम..
और
पछताना भी तुम्हे ही होगा...!
Raju kumar Chaudhary
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Khushi Kumari
🥀🥀🥀
खुदाई तेरी समझ न पाएं, और,
हो गए इस कदर मजबूर तेरे इश्क में,
कि... जुदाई तुझसे सह न पाए और,
हो गए खुद से हीं दूर हम.....💌
खुशी....✍️💖
Priya kashyap
मैं बेफिजूल उसे चाहती रही
दर्द ए गम उसे बताती रही
मजाक बन गया हमारा
हमारे ही सामने,
दोष लगाने वाले थे मेरे
अपने ही चाहने वाले....
Priya kashyap...✍️
Nabiya Khan
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✨ ख़ामोशियाँ बोल उठीं — एक ख़ूबसूरत शाम ✨
शाम का वक़्त हमेशा दिल को एक अजीब सी सुकून-आफ़रीं एहसास देता है। जब आसमान की पेशानी पर सुनहरी धूप की आख़िरी रौशनी फैलती है, तो लगता है जैसे रब ने दुनिया पर अपनी रहमत का रंग बिखेर दिया हो।
धीरे-धीरे शफ़क़ (लालिमा) धुँधली होती है और हवा की नरम लहरें दिल को छूकर गुज़रती हैं। ऐसा लगता है जैसे कुदरत हर शाम हमें यह कहती है कि—
“कोई भी मुश्किल हमेशा नहीं रहती…
हर दिन ढलता है, हर रात गुज़रती है,
और नई सुबह फिर से उम्मीद बनकर आती है।”
इस वक़्त चाय की ख़ुशबू और किसी पुरानी धुन का नरम सा तरन्नुम दिल के अहसासात को और भी गहरा कर देता है। शाम सिर्फ़ एक वक़्त नहीं, बल्कि दिल की तन्हाइयों का साथी है। यह हमें रुककर, मुस्कुराकर, अपने अंदर झाँकने का मौका देती है।
कभी-कभी लगता है कि शाम हमें ख़ुद से मिलने की फ़ुर्सत देती है—
जहाँ शोर-शराबा ख़ामोशी में बदल जाता है,
और थकान एक लम्हे की राहत में पिघल जाती है।
यही शाम की ख़ूबसूरती है—
नरम, नाज़ुक, मोहब्बत से भरी,
और दिल को एक नई रोशनी देने वाली।
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Sweta Pandey
अनुचित संदेहों से सत् की,
आँख मिचौली चलने देना...
" क्या अच्छा है?"
- Sweta Pandey
અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ
*SIR અને સરકારી સિસ્ટમ પર કટાક્ષ કરતી મારી કવિતા અહીં પ્રસ્તુત કરું છું*
વિષય: SIR પર કટાક્ષ કાવ્ય: શિર્ષક: 'શિક્ષક નહિ, BLO બનો!' રચના: અશ્વિન રાઠોડ (સ્વયમ’ભુ’)
અધિકારીની અટારીએથી હુકમ થયો,
"શાળા બંધ, ચોપડા મૂકો! હવે SIR લ્યો!"
ચૂંટણી પંચ કહે: "મતદાર યાદી મહાન,
શિક્ષણ તો ગૌણ છે, લોકશાહીનું ગાન!"
*પહેલો પડાવ: શાળાનો ખાલી ખંડ*
કોઈ વર્ગખંડમાં નથી ઘંટડીનો નાદ,
ખુરશી ખાલી, બ્લેકબોર્ડ પર મળે ધૂળનો સાદ.
'ક' કલમનો ઘૂંટ હવે ક્યાંથી મળે?
શિક્ષક ફરે છે ઘરે-ઘરે, એ BLO ના વેશમાં મળે.
બાળક બેઠું ઘેર, પાઠ્યપુસ્તક થયું બંધ,
ભવિષ્યની ઇમારતના પાયાનો તૂટ્યો સંબંધ.
'ગુરુજી ક્યાં ગયા?' પૂછે કુમળું મન,
સરકાર કહે: "ગુરુજી બન્યા પ્રજાના ગણતંત્ર રતન!"
*બીજો પડાવ: ડબલ બોજ, અસહ્ય તાણ*
ખભે બે બોજ, એક ચોપડો, બીજો મતદારપત્ર,
રાતે ઉજાગરા, દિવસે ઓફિસના કડક છત્ર.
શિક્ષકનું કામ છે ચારિત્ર્યનું ઘડતર,
પણ અહીં તો સતત માનસિક ટોર્ચર!
નવા શિક્ષકોની ભરતી નથી, ત્યાં જૂના તૂટે?
ખુદના જીવનની ગાડી ક્યાંક અધવચ્ચે ખૂટે.
માથે બોજ, ને તણાવનો વધે છે ભાર,
એક શિક્ષક રૂપી દીપક બુઝાયો, જે સુસાઈડનો થયો શિકાર.
પંચ કહે: "આ તો ફરજ છે, દેશ માટે બલિદાનની,"
પણ શિક્ષકનું જીવન શું, માત્ર મત ગણવાના સામાનની?
*ત્રીજો પડાવ: કટાક્ષનો ઘા*
હે સરકાર, તને બાળકોનો કલરવ ન સંભળાય?
કે તારી આંખને માત્ર વોટબેંક જ દેખાય?
ચૂંટણી પંચની તુલામાં જીવન તળિયે જાય,
ને લોકશાહીનો પાયો શું ખાલી વર્ગ પર રચાતો જાય?
શિક્ષણની જગ્યાએ BLO, એ કેવી ગજબની રીત!
મૃત્યુ થાય શિક્ષકનું તો પણ કઠોર પ્રીત.
કહો, ક્યાં છે એ રાષ્ટ્રનિર્માણનો સાચો પાયા,
જ્યાં ગુરુજનોને મત ગણવા પાછળ નચાવ્યા.
*સવાલ છે અંતિમ મારો:*
અરે ઓ નીતિ નિર્ધારકો, જરા તો રોકો આ ખેલ,
વિદ્યા મંદિરને ના બનાવો ચૂંટણીની જેલ.
આત્મહત્યા નહીં, શિક્ષકને ભણાવવા દો પાઠ,
નહિતર તૂટશે ભારતનું ભવિષ્ય, ને પડશે "સ્વયમ’ભુ’" મોટી ગાંઠ!
અશ્વિન રાઠોડ (સ્વયમ’ભુ’)
Shefali
#shabdone_sarname__
#શબ્દોને_સરનામે__
#shabdone_sarname_
Tru...
પાંખો પોતાની ને બંધન પણ પોતાનું...
પ્રયત્નો આપણા,ઉપર આકાશ ખુલ્લું...
બસ શોધ પોતાની,પોતાના તરફની....
shradha nagavanshi
husband 🫂
Pankaj Goswamy
થાય માળા કામની તો છે ઇબાદત,
જાત સાથે જાતની તો છે ઇબાદત;
છે ભરમ કોઈકના રંજાડવાનો,
રાહ જુઓ તાતની તો છે ઇબાદત;
કોણ જાણે કેમ જીવી જાણતો તું,
જાપ માળા ઈશની તો છે ઇબાદત;
પાપ-પુણ્યોના હિસાબો શું કરો છો?
બીક રાખો કર્મની તો છે ઇબાદત;
બારણે વાગે ટકોરા કાળ કેરા,
હોય શ્રદ્ધા રામની તો છે ઇબાદત..!!
- પંકજ ગોસ્વામી 'કલ્પ'
Soni shakya
टुटे हुए लोग आवाज नहीं करते..
बस रातों की नींदों में बिखर जाया करते हैं..
हंसते चेहरो के पीछे छिपे आंसू ..
हर वक्त दास्तां बयां नहीं करते ..
- Soni shakya
Soni shakya
दर्द भी कितना अजीब होता हैं..!
चेहरे पर मुस्कान रखकर रोता है..!!
- Soni shakya
manshi
you can see clear Tears in my eyes
these are real believe on me
hold a cup of tea l am your friend
if the end of your problems
it look like gems
someone in your life has arrived
it look like your friend
and it's your book
it's not just book
they talk to you
they speak to you
designer pages
they make you free from cages
be free minded think about them
design on leaving
they teach you every lesson of life
the biggest day in your life
they are waiting for you
when you will be familiar to them
the way to share your thoughts
the way to understood life
still they don't contain only stories
they can be turning point of your life
the books can make smash your loneliness these are your friends
this books are everything
they are more than best friends
manshi
answer my question
are you independent or not
I think we are not so
we got freedom from British
but not from that fare
which leaves in our mind
we are still slave of that fare
that had made us Worse
we can't live happily with that fear
its about failure of success
it has kept a different place in our mind
be alive its voice is deepest
it always scream in your ears
you will fail
one should not regret to be failure
cause it's the fair
which says you are failure
we are not still independent
let's make our mind free of that fear
the life will be easy
take out it from your mind
be alive make yourself independent
manshi
Look in flash back in 80's
man was scary, when I will go in forest,
animal will kill me
looking present animals are scared
man has came they will smash our homes they will cut forest
why it's all happening
allow them live happily
think about those toungueless
they beg to you
don't Smash their homes
why it's all happening
why they need to say so
why are they crying
why are they disappearing
why it's all happening
Nensi Vithalani
✨ PART 20 is OUT NOW! ✨
“Niyati — The Girl Who Waited”
Chapter 20 is now live!
A new twist, a deeper emotion, and a promise that touches the soul.
If you’ve been following Niyati’s journey… this chapter will stay with you. 💛
📖 Read Now:
https://www.matrubharti.com/book/19984320/niyati-the-girl-who-waited-20-by-nensi-vithalani
Your love, support, and reads mean the world.
Let me know how you like this chapter! ✨
— Nensi Vithalani
Nensi Vithalani
नई राहें, नई कलम
“नई कलम से लिखी कहानी तभी खूबसूरत बनती है,
जब स्याही में पुरानी सीखों का रंग हो—
और सफ़र में चाहे नए लोग व नए रास्ते मिलें,
कदम बढ़ाना कभी मत रोकना,
पीछे मुड़कर कभी मत देखना।”
madhvi
I'm new on matrubharti 😊
Roshani Prajapati
મારા હૃદયની દરેક ધડકન છો તમે,
મારી જિંદગીની સૌથી મોટી તકદીર છો તમે.
આંખોમાં જોઉં તો સપના તમારા દેખાય,
હાથ પકડું તો દુનિયાની હૂંફ મળે.
સાત જન્મોની પ્રીત હોય કે પછી એક જન્મનો સાથ,
તારા વિના અધૂરી છે મારી દરેક વાત.
હસાવો પણ તમે, ને રડાવો પણ તમે જ મને,
મારા દરેક સુખ-દુઃખનો સાચા હમસફર છો તમે.
બસ, આટલું જ કહેવું છે, મારા ખાસ વ્યક્તિ,
સર્વસ્વ છો તમે, મારા જીવનની સાચી શક્તિ.
જ્યારે પણ હું તમને જોઉં છું, ત્યારે લાગે છે કે જાણે,
આખું આકાશ મારી મુઠ્ઠીમાં આવી ગયું છે.
તમે સૂર્ય છો, અને હું પૃથ્વી છું તમારી,
તમારાથી જ મારું અસ્તિત્વ છે, તમારી આસપાસ મારું પરિભ્રમણ છે.
સંબંધ માત્ર શબ્દોનો નથી, તે તો આત્માનો એકરાર છે,
મારી દરેક ખુશી અને પીડામાં તમારો જ સહકાર છે.
સમય ભલે ગમે તેટલો બદલાય, પણ આ પ્રેમ ક્યારેય ન બદલાય,
કેમ કે તમે જ મારું છેલ્લું સરનામું અને પહેલો વિશ્વાસ છો.
મારા હમદમ, હું બસ આટલું જ કહેવા માંગુ છું,
તમે મારા દરેક શ્વાસમાં છો, તમે મારા જીવનનો સાચો સાર છો."
Roshani Prajapati
મારા હૃદયની દરેક ધડકન છો તમે,
મારી જિંદગીની સૌથી મોટી તકદીર છો તમે.
આંખોમાં જોઉં તો સપના તમારા દેખાય,
હાથ પકડું તો દુનિયાની હૂંફ મળે.
સાત જન્મોની પ્રીત હોય કે પછી એક જન્મનો સાથ,
તારા વિના અધૂરી છે મારી દરેક વાત.
હસાવો પણ તમે, ને રડાવો પણ તમે જ મને,
મારા દરેક સુખ-દુઃખનો સાચા હમસફર છો તમે.
બસ, આટલું જ કહેવું છે, મારા ખાસ વ્યક્તિ,
સર્વસ્વ છો તમે, મારા જીવનની સાચી શક્તિ.
જ્યારે પણ હું તમને જોઉં છું, ત્યારે લાગે છે કે જાણે,
આખું આકાશ મારી મુઠ્ઠીમાં આવી ગયું છે.
તમે સૂર્ય છો, અને હું પૃથ્વી છું તમારી,
તમારાથી જ મારું અસ્તિત્વ છે, તમારી આસપાસ મારું પરિભ્રમણ છે.
સંબંધ માત્ર શબ્દોનો નથી, તે તો આત્માનો એકરાર છે,
મારી દરેક ખુશી અને પીડામાં તમારો જ સહકાર છે.
સમય ભલે ગમે તેટલો બદલાય, પણ આ પ્રેમ ક્યારેય ન બદલાય,
કેમ કે તમે જ મારું છેલ્લું સરનામું અને પહેલો વિશ્વાસ છો.
મારા હમદમ, હું બસ આટલું જ કહેવા માંગુ છું,
તમે મારા દરેક શ્વાસમાં છો, તમે મારા જીવનનો સાચો સાર છો."
Kirti kashyap
"मेरी परेशानी"
ज़माने से अदावत, मेरी परेशानी,
मोहब्बत से बगावत, मेरी परेशानी।
सुकूँ की ना मुझको है कोई चाहत,
है आहत से राहत, मेरी परेशानी।
उजालों से टूटा है नाता कुछ ऐसे,
अंधेरों की सियासत, मेरी परेशानी।
हर एक लफ़्ज़ में रहती है तल्ख़ी कोई,
ख़ुद अपनी ही इबारत, मेरी परेशानी।
रुख़सार पे झलकती है सख़्ती कोई,
ये आँखों की नज़ाकत, मेरी परेशानी।
ये झूठी तबस्सुम, ये टूटी सी हिम्मत,
ये दिल की कराहत, मेरी परेशानी।
"कीर्ति" रखती तो है लोगों के तानों का जवाब,
मगर विरासत की शराफ़त, मेरी परेशानी।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
Jignesh Shah
ઇશ્વર ને શોધવામાં જાણે ક્યાંક,માણસ આજે ખોવાયો છે .
કે કેટલાય છે પંથ ને કેટલાય છે પક્ષ,
માણસ એની વચ્ચે આજે અટવાયો છે,
ને આસ્થા ની ડૂબકી સાથે ,
ઇશ્વર ગામે ગામ શોધાયો છે.
કે માનવતા ને નેવે મૂકી કહે સૌ,
મારો જ ઇશ્વર સાચો છે.
ને એક જ ઇશ્વર પર,આજે જાણે સૌ કોઈ નો દાવો છે.
કે શોધે જાણે માણસ,ઇશ્વર ક્યાંક ખોવાયો છે,
ને ના જાણે કે અંતર મહિજ એતો માનવતા માં સમાયો છે
ઇશ્વર ને શોધવામાં જાણે ક્યાંક,માણસ આજે ખોવાયો છે ..
- Jignesh Shah
kshitija
तुझ्याशी नकळत झालेला संवाद खूप हवासा वाटतो
तुझ्या विचारांवर झालेलं माझं प्रेम खूप जपावस वाटतं
अनोळखी म्हणून आलेला तु माझ्या आयुष्यात
तुला माझं सर्व प्रेम द्यावसं वाटतं
ज्या भेटीला काळाची मर्यादा आहे
मला ती बंधन तोडावीशी वाटतात
तू आहेस माझ्यासोबत या छोट्या आशेवर
मला आपली स्वप्न बघाविशी वाटतात
बंधनं नसावीत या नात्यात
जर ती असलीच तर ती बंधन सोडून
तुझ्यासाठी तुझ्याकडे यावसं वाटतं
Anup Gajare
“भेड़ियों के बीच”
_______________________________
मुझे काट दो—
टुकड़ों में बाँट लो।
हर कोने में दुबके हैं साये,
किसकी सिसकी
कौन सुन पाए—
किसे फ़ुर्सत है अब रोने वालों की?
कभी अपने हथियारों को
थोड़ा और धारदार बना लो;
मैं कोई अँधेरा नहीं,
जिसे तुम काट न पाओ।
कोनों में दुबका
कोई भयछाया भी नहीं हूँ—
मैं तो बस
अपनी ही देह का सच लेकर
तुम्हारे सामने खड़ा हूँ।
अपनी भूख बुझा लो—
पर मेरे टुकड़ो को
अग्नि के हवाले मत करना,
फ्रिज की ठंडाई में
सुन्न भी मत बनने देना।
बोटी–बोटी कर
भेड़ियों को खिला दो—
वे कुर्सियों से चिपके भेड़िये हैं,
जिन्हें लजीज़ कुर्सियाँ पसंद हैं,
और पसंद है
ठंडा गोश्त भी।
______________________________________________
Nirali patel
जब कुत्ता, बन्दर, भैंस, लोमड़ी, गधे,
बिना लड़े ही एक घाट पे पानी पी रहे हो
तो समझ जाइये की दूसरे घाट पर शेर है |
Shailesh Joshi
મનગમતું પામવા...
પહેલાં તો
મનગમતા થવું પડે,
ને પછી તો
ખુદ સમય
આપણું કિસ્મત ઘડે
- Shailesh Joshi
Dada Bhagwan
Do You Know that you should never quarrel with people at home? How can you quarrel with people you have to share the same home with? Nobody has ever been happy by making others miserable and we want to be happy by giving happiness. We can only be happy if we make others happy at home.
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Imaran
दिल के टूटने की आवाज़ सुनाई नहीं देती,
हर किसी को बेवफाई दिखाई नहीं देती,
कितना दर्द सह रहे हैं हम,
ये तन्हाई कभी जताई नहीं देती
💔 imran 💔
Deepak Bundela Arymoulik
न के बराबर लोग
समाज में कुछ लोग होते हैं —
होते हुए भी न के बराबर,
जैसे भीड़ में पड़े वो सूखे पत्ते,
जिन्हें हवा भी उठाने से कतराए बार-बार।
किसी घटना पर न उनकी भौंहें उठतीं,
न किसी दर्द पर दिल काँपता है,
पराये दुख उन्हें छूते नहीं,
मानो पत्थर की नसों में जमकर जम गया जाड़ा है।
ना किसी की आवाज़ पर कान देते,
ना किसी मदद को हाथ बढ़ाते,
जैसे इंसान नहीं,
बस चलते-फिरते बेजान साँचे हों,
जो सिर्फ साँस लेकर समाज का हिस्सा भर कहलाते।
पर जब वक्त की आंधी
सीधे इनके दरवाज़े पर दस्तक देती है —
तब अचानक ये लोग ‘इंसानियत’ का झंडा उठाते दिखाई देते हैं।
दोहाई देने लगते हैं उस संवेदना की,
जिसे कभी खुद जगाया ही नहीं,
रोने लगते हैं उस दर्द पर,
जिसे दूसरों में पहचाना ही नहीं।
समाज की नींव इन्हीं से डोलती है,
जो वक्त पर चुप और मुसीबत में loud हो जाते हैं—
और फिर भी उम्मीद रखते हैं
कि दुनिया उन्हें ‘अच्छा’ मान लेगी।
ये वही लोग हैं—
होते हुए भी न के बराबर,
पर अपने फायदे की बारी आए
तो सबसे पहले कतार में खड़े नजर आते हैं।
आर्यमौलिक
kanvi
“A little ego is necessary when it comes to protecting one’s rights, character, and self-respect.”
Raj Phulware
IshqKeAlfaaz
भूल जाओ अब..
Jyoti Gupta
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Saliil Upadhyay
ख़ुद से समझौता न करें.
आपका सब कुछ बस आप ही हैं..!
- Saliil Upadhyay
સુરજબા ચૌહાણ આર્ય
એક જગ્યાએ લખેલું હતું કે જિંદગીના બધા કડવા અનુભવ મીઠા માણસ પાસેથી મળે છે તો આ સત્ય નથી જિંદગીના બધા કડવા અનુભવ મીઠા વગરના માણસો પાસેથી મળે છે. સુપ્રભાત 🙏🏼જય સીયારામ ✍🏼"આર્ય "
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
प्यार किया है निभाएंगे आखरी साँस तक l
जो भी बात करेंगे कबूले सर आँखों पर ll
आज सब कुछ जायज है मुस्कराते हुए कि l
खूबसूरत हसीं शिकवे गिले सर आँखों पर ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
મનોજ નાવડીયા
હવે છેલ્લા બે દિવસ,
અમદાવાદ ઈન્ટરનેશનલ બુક ફેસ્ટીવલ, રિવરફ્રન્ટ, અમદાવાદ.
પુસ્તક: વિશ્વ ખોજ અને હિતકારી
બુક સ્ટોલ નંબર: ૫૧
નેક્સસ સ્ટોરીઝ પબ્લિકેશન.
મનોજ નાવડીયા
હવે છેલ્લા બે દિવસ..
અમદાવાદ ઈન્ટરનેશનલ બુક ફેસ્ટીવલ, રિવરફ્રન્ટ, અમદાવાદ.
પુસ્તક: વિશ્વ યાત્રી, એક જીવન યાત્રા
બુક સ્ટોલ નંબર: ૩૯
નવભારત સાહિત્ય મંદિર.
મનોજ નાવડીયા
સરળતા એટલે ઉચાઈ. સરળતાને કોઈ ઉચાઈ સુધી પહોચવાની ઈચ્છા હોતી નથી, એ જાતેજ એક ઉચાઈનુ લક્ષ્ય ધરાવે છે.
મનોજ નાવડીયા
Mamta Trivedi
ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं🌹 ममता गिरीश त्रिवेदी की संवेदना ज्ञान धारा मैगजीन पढ़िए ममता गिरीश त्रिवेदी वर्ड प्रेस डॉट कॉम पर
https://www.instagram.com/reel/DRUon53irgH/?igsh=MWpuYzl1aGx6ZGxlNw==
Paagla
फेंकने से पहले देख लिया करो, सामने कौन है।😎
PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, attitude, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖
Soni shakya
🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹
वात्सल्य
माँगा वो मिला नहि l
मिला वो माँगा नहीं ll भगवान के दरबारमें ll
लिए बिना वापस कोई आया नहीं ll
- वात्सल्य
- वात्सल्य
Hardik Boricha
*जीत निश्चित हो तो,*
*कायर भी जंग लड़ लेते हैं...*
*बहादुर तो वो लोग है ,*
*जो हार निश्चित हो फिर भी मैदान नहीं छोड़ते...*
*भरोसा " ईश्वर " पर है,*
*तो जो लिखा है तकदीर में, वो ही पाओगे...*
*मगर , भरोसा अगर " खुद " पर है ,*
*तो ईश्वर वही लिखेगा , जो आप चाहोगे*
🙏🏽🍁 *जय श्री राम* 🍁🙏🏽
Hardik Boricha
इस भ्रम में न रहें कि भाग्य मे जो हैं वही
होगा, बल्कि यह विश्वास रखें कि जैसा आप
करेंगे वैसा ही भाग्य होगा।🌻
*॥शुभ☕️प्रभातम्॥*
💘💛♥️🐬 🦋🌹🍃
Rashmi Dwivedi
#जीवन#अनुभव
sonam kumari
"स्त्री"
एक स्त्री बनना कितना कठिन है,
हर दिन कोशिशों में डूबा हर क्षण है।
अपने ऊपर उठे हर सवाल को झुठलाना है,
थककर भी मुस्कुराना है, खुद को फिर समझाना है।
यह रात न बीते तो नया दिन कैसे आएगा,
घाव चाहे गहरे हों पर हौसला ही जगमगाएगा।
औरत की ताक़त ही तो राहें नई बनाती है—
वह टूटकर भी हर बार मज़बूत बनकर दिखाती है।
- sonam kumari
Dinesh
*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏
*આજનો સુવિચાર*
સંઘર્ષ થકવે જરૂર છે, પણ સાથે જ આપણને બહારથી સુંદર અને અંદરથી મજબૂત બનાવે છે.
*શુભ સવાર*
Sonu Kumar
जज सिस्टम बनाम जूरी सिस्टम
वोट वापसी कानूनों के अलावा जूरी सिस्टम होना सबसे बड़ी वजह रही कि अमेरिका-ब्रिटेन जैसे देश भारत जैसे देशो से तकनीक के क्षेत्र में आगे, काफी आगे निकल गए।
जूरी मंडल ने वहां के छोटे-मझौले कारखाना मालिको की जज-पुलिस-नेताओं के भ्रष्टाचार से रक्षा की और वे तकनिकी रूप से उन्नत विशालकाय बहुराष्ट्रीय कम्पनियां खड़ी करने में सफल हो पाए
राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए। वर्ना राजवर्ग अन्यायपूर्ण कानूनों का इस्तेमाल करके प्रजा को लूट लेगा, और राज्य का विनाश होगा !!
प्रजा के अधीन नहीं होने पर राजवर्ग अन्याय, खूसट से दंड लगाकर प्रजा का उसी तरह भक्षण कर जायेगा जैसे मांसाहारी पशु शाकाहारी जीवो को खा जाते है !!
राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए, वर्ना वो प्रजा को लूट लेगा और राज्य का विनाश होगा - सत्यार्थ प्रकाश
Nisha ankahi
दिल की उन खिड़कियों पर अब कोई आँसू न ठहरे,
रात ने अब लि़हाफ ओढ़ लिया , चाँद ने तेरे सारे राज़..
- Nisha ankahi
kunal kumar
१
यकायक नहीं,
एकदम दबे पाँव
धीरे-धीरे मृत्यु सरक गई मेरे देह से।
फिर सबकुछ अपनी-अपनी जगह लौट गया:
पहले पसलियाँ, फिर मांस,
और फिर तो पूरी की पूरी चमड़ी भी
सिर्फ़ एक चीज़ लौटना भूल गई
आवाज़।
शब्द अपनी जगह नहीं पहुँचे,
और भाषा वहीं अटकी रह गई
मौन में।
उसी पल मैंने
घुटन की पहली सबसे सच्ची झलक देखी।
२
जीवन अक्सर लौटता है
अपने उसी वक़्त में
जहाँ उसकी पहली बनावट हुई थी।
और इसी वापसी में
हम थोपने लगते हैं
कुछ झूठी अफ़वाहें।
मोक्ष — उसी अफ़वाह का
सिर्फ़ एक क्षणभर की कल्पना है।
३
सबसे आसान दिनों में ही
सबसे भयानक दृश्य सामने होते हैं;
घुटन बस उनकी कोख में छिपी रहती है
जब तक स्मृति
अपनी चाल न चल दे।
४
मैंने रस निचोड़ा,
रूपक खंगाले,
पर लिख नहीं पाया
अप्रत्याशित घुटन का
कोई भी पर्याय।
५
और अब,
जब विचार सूखते जा रहे हैं
सिगरेट के जले निकोटीन में
घुटन मुझे साफ़ दिखाई देती है।
वह अपराधबोध की कोई आकृति नहीं;
वह एक जीती-जागती सच्चाई है
कि एक आदमी
कितनी शांत तरीके से
कूड़ा बन सकता है।
@कुनु
kunal kumar
उल्टी
————
बचपन में,
जब मछली खाते हुए
गले में काँटा अटक जाता था,
तो मैं मुंह में ऊँगली डाल
उलटी करने की कोशिश करता
ताकि काँटा अपनी जगह से
फिसल कर बाहर आ जाए।
आज,
ठीक उसी तरह
जब मौन गले में फँस गया है,
मैं वही पुरानी ऊँगली
अपनी ही भाषा में डालकर
उसे बाहर खींचने की
एक अनगढ़ कोशिश कर रहा हूँ।
रूपकों और उपमाओं से
भींगी हुई मेरी कविता
दरअसल कोई सौंदर्य नहीं—
ये केवल
एक अपचय मौन की उल्टी है।
@कुनु
Bhavna Bhatt
લથડીયા ખાતો મંકોડો... મારે નોતો પીવોને
Rinal Patel
સાચી જ છું કે સાચો છું એ સાબિત કરવા માટે ક્યારે પણ બીજાને કોઈપણ જાતની સફાઈ ન આપો, એ વાત માટે વારંવાર ન વિચારો કારણકે કોઈને વારંવાર સફાઈ આપવાથી આપણો સાચપણાનો ભાવ નાશ પામે છે.
અંતરની દ્રષ્ટિએ.
Rinall..
Archana Singh
यदि ! पानी अपनी मर्यादा तोड़े तो ,
विनाश हैं ...!
पर ... वाणी मर्यादा तोड़े तो ,
सर्वनाश हैं ...!!
अर्चना सिंह ✍🏻
Archana Singh
कमबख़्त ! ग़म को भी मिलती
हैं सुकून , मेरे आशियानें में ...
तभी तो दस्तक दे जाती हैं,
मेरे ठिकाने में ..!!
अर्चना सिंह ✍🏻
- Archana Singh
Anup Gajare
"इमरोज़ की छाया में"
__________________________________
1.
तुम्हारे बिना
लाचार होकर जीने से मुझे चिढ़ है—
क्योंकि मेरे भीतर की आग
किसी प्रेमी की उँगलियों से नहीं,
मेरी अपनी राख से उठी चिंगारी है।
2.
प्यार अगर बाँध बन जाए
तो नदी घुटकर मर जाती है;
और मैं नदी हूँ—
अपना कटाव भी मेरा,
अपनी दिशा भी मेरी।
3.
तुम आए—
तो मेरे भीतर की भाषा खनक उठी,
मेरी देह का अनकहा अर्थ
कविता की तरह चमकने लगा;
पर कविता लिखने के लिए
मैं किसी की मोहताज नहीं।
4.
मैंने तुम्हें इसलिए चाहा
क्योंकि तुम मेरी आज़ादी जैसे थे,
न कि वे बेड़ियाँ
जिनमें सदियों से
औरतों की साँसें कैद की जाती रही हैं।
5.
तुम्हारे हाथों में रंग,
मेरे हाथों में अक्षर;
हमने एक-दूसरे को गढ़ा,
पर किसी को तोड़ा नहीं।
6.
दुनिया पूछती है—
क्या औरत की ज़िंदगी इमरोज़ की तलाश है?
मैं कहती हूँ—
औरत की ज़िंदगी
अपनी ही राख से उठने की कला है;
जब वह पूरा उजाला बन जाती है,
तभी कोई इमरोज़
उसमें ठहर सकता है।
7.
मेरी चिढ़ यह नहीं
कि तुम्हारे बिना मैं मर जाऊँगी—
मैं अपनी हड्डियों के साहस से चलती हूँ।
पर तुम्हारे साथ जीने की भूख
और गहरी, और तीखी हो जाती है।
8.
मैं तुम्हारी गोभी के पराँठों में नहीं थी,
न उन सपनों की भाप में
जो तवे से उठकर तुम्हें बहलाती थी।
मैं तुम्हारी भूख नहीं—
अपने भीतर की एक पूरी दुनिया हूँ,
जहाँ प्रेम भी उगता है
और अपना आकाश भी।
9.
तुम्हारे आने से
मैं खत्म नहीं हुई—
मैं दोहरी हो गई:
एक प्रेम की स्त्री,
एक अपनी ही लौ की संरक्षिका।
10.
तुम रहो तो वसंत,
न रहो तो सावन—
पर मैं ऋतुओं की मोहताज नहीं;
मेरी ऋतु मेरे भीतर जन्म लेती है।
11.
मैं तुम्हें इसलिए चाहती हूँ—
क्योंकि तुम्हारे साथ
मैं लाचार नहीं,
बल्कि और ज़्यादा
मैं हो जाती हूँ।
_____________________________________________
Nithinkumar J
എണ്ണപ്പെടാത്ത കടങ്കഥകള്
--------------------
പതിവായി ഞാനൊരു കിനാവു കണ്ടു.
അതില് പലവുരു
പറയാതെ പോയ
കടങ്കഥകള് ഏറെയാണ്.
ഒറ്റയ്ക്കു വീണുപോയ
ഒരുവന്റെ ചിറകില്
ഒരായിരം നൂലിഴകള്
ചുറ്റിപ്പിണയും കൊടുംനുണകളാണ്
അവയില് പലതും.
ഇത്തിരി വെട്ടത്തിന്റെ മൗനമായിരുന്നു
തെളിച്ചമുള്ള പകലിന്റെ കാതല്.
അന്തിത്തിരി കത്തുമ്പോള്
ഉള്ളറിഞ്ഞതെല്ലാം
ഉന്തി നീക്കുവാനുള്ള
ത്വരയായിരുന്നു.
കുളിരില് വേവുന്ന ഹൃദയം
കടം വാങ്ങി മടങ്ങിയ ഒരുവളെ
ദിശയറിയാത്തൊരു ഇടവഴിയിലെയൊരു
ഒഴിഞ്ഞ കോണില് കണ്ടുമുട്ടി.
മനം കവര്ന്ന നറുചിരി
ഇരുളില് മുങ്ങി വെന്തുനീറി.
എന്തോ ഇരുളറയിലെ
നോവുന്ന കടങ്കഥകള്
അത്രേ കാരണം.
പകല് മേഘമല്ല
ഇരുള്മൂടി വിടരുന്നത്
മഴ നേര്ത്തു പെയ്യുന്നത്.
മുഖം മറച്ച മുഖംമൂടികള്
എണ്ണംതിട്ടമാകാതെ ചുറ്റും കൂടുമ്പോള്
പകലുപോലും തല കുനിക്കുന്നു
രാവിന്റെ ചാപല്യമോര്ത്ത്.
-------------
നിഥിന്കുമാര് ജെ
Rohan Beniwal
चुनाव का मौसम
भारत में वैसे तो कई मौसम चलते हैं,
पर डंका एक ही का बजता है – चुनाव के मौसम का।
यह वह मौसम है जिसमें जनता की याददाश्त चली जाती है,
क्योंकि वह नेताओं के पिछले कर्म भुल जाती है।
नेता आते हैं, वादे करते हैं और चले जाते हैं,
पर उनके पुराने वादे अब भी अधूरे हैं।
और जो थोड़े पूरे हुए भी, वे केवल कागज़ों में।
वैसे याददाश्त तो नेताओं की भी कमजोर है,
कहते हैं– हम रोज़गार देंगे,
पर यह बताना भूल जाते हैं कि अपने रिश्तेदारों को।
कहते हैं– हम विकास करेंगे,
पर यह बताना भूल जाते हैं कि खुद का।
कहते हैं – लोकतंत्र जनता की ताकत है,
पर यह बताना भूल जाते हैं कि सिर्फ चुनाव तक।
कभी कहते हैं – हम भ्रष्टाचार मिटा देंगे,
पर यह बताना भूल जाते हैं कि ताकि हम कर सकें।
ऐसा भी बिल्कुल नहीं है कि वे सिर्फ भूलते ही हैं,
कुछ चीज़ें याद भी आती हैं, जैसे पाँच साल बाद जनता की।
जनता भी बड़ी दरियादिल है,
कभी जाति के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर वोट दे ही देती है।
थोड़ी सी भोली भी है,
क्योंकि पाँच साल पहले नेताओं ने जो सपने दिखाए थे, उन्हें वापस देखने आ जाती है।
और भुलक्कड़ तो हैं ही,
यह पूछना ही भूल जाती है कि यह सपने पूरे कब होंगे।
चुनाव से पहले नेता गरीब की झोपड़ी में खाना खाते हैं,
और चुनाव के बाद गरीब को।
नेताओं का भाषण शुरू होता है – ‘मेरे प्यारे देशवासियों’ से,
और खत्म होता है – 'हमें वोट ज़रूर दीजिए' पर।
बीच में अगर कुछ समझ आया हो, तो आप वाकई प्रकांड विद्वान हैं।
Shefali
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Jyoti Gupta
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Anurag Basu
Osho
- Anurag Basu
Sonu Kumar
कुछ ज्ञानी लोग बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर पेड़ काटने पर ज्ञान दे रहे हैं तो उनको मैं बताना चाहता हूं एक दिन अखबार छापने में जितना पेड़ काटना पड़ता है उससे भी काम कागज में बैलेट पेपर छप सकता है जिस दिन चुनाव हो उस दिन का अखबार छापने की छुट्टी रख सकते हैं l
Josephine prakasi A
When Smiles Become Love
Every smile becomes love
When it is expressed from the heart.
Every touch becomes a feeling
When it is touched by the soul.
Every moment becomes happiness
When it is created by God.
Everything will be better
When it comes at the right time.
Falguni Dost
ને સ્પર્શી ગયા એક એક શબ્દ કલેજના ખૂણે,
દોસ્ત! દરેક શબ્દમાં મનની વ્યથા જો ગૂંથી હતી.
- ફાલ્ગુની દોસ્ત
Raj Phulware
IshqKeAlfaaz
तुझ्या मनाला मन..
Nabiya Khan
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🌅 “Ek Nayi Subah Ka Tohfa” — Urdu Alfaaz Mein, Hindi Mein
हर नयी subah अपने दामन में एक ताज़ा umeed लेकर आती है। रात की tanhaiyon और khamoshiyon के baad जब pehli kiran zameen पर गिरती है, तो ऐसा लगता है जैसे कुदरत ने हमारी रूह पर नर्म सा हाथ फेरकर कहा हो—
“Utho, aaj ka din tumhara intezaar kar raha hai.”
Subah की हवा में एक noor छुपा होता है। यह noor वही है जो दिल की udaasiyon को हल्का कर देता है। आसमान का surmai rang धीरे-धीरे sunahri होने लगता है, और हम महसूस करते हैं कि ज़िंदगी अभी भी खूबसूरत है, बस हमें उसे महसूस करने की fursat चाहिए।
हर subah हमें ये याद दिलाती है कि
कोई भी रात hamesha के लिए नहीं होती।
Gham ho ya thakan, sab kuch subah की roshni में पिघलने लगता है।
आज की subah भी एक nayi dastaan लेकर आई है।
शायद कोई नई raah, शायद कोई नया armaan,
या शायद बस एक छोटा सा muskurane ka bahana…
कुदरत का ये नज़ाकत भरा तोहफ़ा हर रोज़ मिलता है,
बस हम ही कभी-कभार ghubar-e-fikr में उलझकर इसे महसूस नहीं कर पाते।
तो आज…
जब हवा में हल्की सी mehak घुली हो,
जब dhup अपने naqsh फैला रही हो,
एक पल निकालकर अपने dil से कहिए—
“Shukriya, ae Zindagi… subah itni khoobsurat banane ke liye.”
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वात्सल्य
મળતું હોત બધું બધાંને તો કોઈને કોઈની જરુર ના પડતે ! સંબંધો માત્ર સ્વાર્થના નથી હોતા બધા! પરસ્પર ભળવાથી ખાંડ લીંબુનું સરબત બને.
- વાત્સલ્ય
वात्सल्य
બઉજ miss કરું છું.ના મળે કે ના મળવા બોલાવે.શું કરવું?
દિવસ સોનાનો ઉગે સાંજ પડતાં ચાંદી અને રાત પડતાં કથીર. - વાત્ત્સલ્ય
Amir Ali Daredia
મૈયા યશોદાને શ્રી કૃષ્ણની ફરિયાદ કરતા રાધા અને ગોપીઓ નુ એક જબ્બર જસ્ત ગીતનુ આ લિંક છે એક વાર જરુર સાંભળશો
https://youtu.be/5-C8uWB0DR0?si=bAGEVc9IFD5khWY9
Bharat Ahir
*જો એ પૂછી લે બસ હાલ મારો,*
*લ્યો બોલો કેટલો સરળ છે ઈલાજ મારો...!!✍🏻✍🏻 ભરત આહીર
archana
"थक गई हूँ यह साबित करते कि मैं तुम्हें तुमसे ज़्यादा चाहती हूँ…
दर्द इस बात का नहीं कि तुमने समझा नहीं,
दर्द इस बात का है—
मेरे प्यार को भी तुमने ‘ ईगो’ का नाम दे दिया।
Arkan
https://youtube.com/@the_fake_lover_3?si=xg3s00Qb3uhaBG-Y
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