Gujarati Whatsapp Status | Hindi Whatsapp Status
archana

मैले को मैला ही भाता है, सांप को बस सांप सुहाता है। हकीकत आज की इतनी कड़वी है, जितना कोई पवित्र होता है, उतना ही अकेला रह जाता है। भलेपन की कीमत यहाँ नहीं, यहाँ तो चालाकी चलन है, सच्चे लोग रौंदे जाते हैं, क्योंकि बंदे को गंदा ही पसंद है।

H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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Dr. Damyanti H. Bhatt

गीता उपदेश, 🌹🙏🌹

Dr. Damyanti H. Bhatt

गीता उपदेश,,, 🌹🙏🌹

Priyanshu Sharma

*Zindagi ko samajhne ke liye teen cheezein zaroori hain...* *_Sabr - Har cheez waqt par hi milti hai,_* *_Khamoshi - Har jawaab zubaan se nahi hota,_* *_Nazariya - Soch badlo, toh zindagi badal jaayegi._* @Priyanshusharma8476

Kirti kashyap

"तेरे ज़िक्र की हवा" तेरे ज़िक्र की हवा जब बोसा दे गई गालों को, मरहम-सा लगा गई, दिल के मलालों को। तेरी याद ने फिर दिल की स्याही भिगो दी, लिखते-लिखते मैं छू गई ख़यालों को। न तुमने कुछ कहा, न मैंने कुछ सुना, पर ख़ामोशी ने जोड़ा दो सवालों को। हर ख्वाब तेरा देख के सोचा कुछ कह दूँ, पर लफ़्ज़ रोक लेते हैं अहवालों को। कभी-कभी हवा कुछ राज़ कह जाती है, जैसे कोई पढ़ ले दिल के रिसालों को। “कीर्ति” ने फिर सजा दिए कुछ टूटे अल्फ़ाज़, जिसमें छुपा लिया सब हाल-ए-दिलवालों को। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️ बोसा = चुम्बन मलालों = दुःख, रंज, पश्चाताप अहवालों = हालात, दिल की स्थिति रिसालों = किताबें या पन्ने हाल-ए-दिलवालों = दिलवालों की कहानी

ધબકાર...

अहमियत मेरी उनके जीवन में मूड से बनती बिगड़ती, कभी उनका आईना बन संवरती, कभी वो बिछड़ती। ધબકાર...

DrAnamika

जय कैलाश भगवान 🙏

Sanjay Sheth

प्रेम को सत्य तभी जानिए, जब दिल से दिल का रास्ता बने, शब्दों की चमक में ना उलझें, जो हृदय में झांके, वही प्रेम ठहरे। नजरों में सच्चाई का आलम हो, चाहत में बस विश्वास का मरहम हो, प्यार वो जो आत्मा को छू ले, दिल के हर कोने को सुकून दे।

Dr. Damyanti H. Bhatt

दुनिया को झूठे लगी पसंद आते हैं,

Manshi K

याद आए भी तो तुम कैसे आए ?? होठों को खामोश कर दिया आंखों को जुबां देकर ,,,, - Manshi K

MASHAALLHA KHAN

तेरी किताबो से नजरे हठे तो देख हमे है तेरा ये दिल एक तू ही देर करे तेरे कहानियो के किरदार से हम कम नही जरा दिल के मन से पढ़ कर देख हमे .

Raj Shah

A must visit shibir. I have attended it. I personally request to attend it. 😊😊😊

Tanya Singh

She became her own reason to believe again. - Tanya Singh

kattupaya s

Goodnight friends

Tanya Singh

Grow through what you go through - Tanya Singh

Tanya Singh

Be the reason someone believes in kindness again. - Tanya Singh

H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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Awantika Palewale

इस शहर में धुआँ धुआँ सा है क्या जल रहा, ये गमाँ गमाँ सा है ​हर चेहरा यहाँ उदास क्यों है हर शख़्स क्यों परेशान सा है जाने किस बात का है अफ़सोस या कोई ख़्वाब बे-ज़बाँ सा है ​हर गली में ख़ामोशी का पहरा सन्नाटा भी अब मेहरबाँ सा है दूर से आती हैं आवाज़ें मगर जैसे कोई नग़्मा धँसा धँसा सा है ​अब हवा भी कहाँ वो पहले वाली साँस लेना भी इक इम्तिहाँ सा है ज़िंदगी पूछती है, ऐ इंसान! ये तूने क्या हाल कर दिया है ​रात भर जागते हैं लोग यहाँ दिन में भी हर आँख में शब-ए-ग़म है तेरी दुनिया में क्या कमी है ‘खुदा’ फिर क्यों दिल में ये मलाल सा है इस शहर में धुआँ धुआँ सा है।

A

JIS PAL MΑΙΝ ΑΑΝΚHO ME DOOBA THA USKI... USSE HASEEN KUCH AB LAGTA NAHI MUJHKO... Good night

Nensi Vithalani

“Learn from the charger — 20% — it slows, starts saving its power, 🔋 50% — it finds balance, calm in the flow, ⚖️ 100% — it stops, knows it’s enough. ✋ Life’s the same — know when to save your peace, when to stay steady, and when to stop giving more than you must.” 🌙💫 - Nensi Vithalani

Aruna N Oza

💞💞💞🩷🌹🌹💞🩷🌹🙏Jay mataji 🌹🙏

Shweta Gupta

जिसके भाव पवित्र हैं, उसका अहित कभी हो ही नहीं सकता।" - Shweta Gupta

Aruna N Oza

🩷🩷🙏

Aruna N Oza

🙏🙏

Shweta Gupta

जिसके भाव पवित्र हैं, उसका अहित कभी हो ही नहीं सकता।" - Shweta Gupta

Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं कविता का शीर्षक है🌹 रंग बेरंग

Mr Mehul Sonni

મુરલીનો મધુર સ્વર છે માધવ ભગવદ ગીતાનું મૂળ છે માધવ આરંભ છે અને અંત છે માધવ હારેલાંઓની તાકાત છે માધવ સાહસ છે ને વિશ્વગુરુ છે માધવ Mr. Mehul sonni

Shail Singh RAJPUT

चांद मुझें एक बात बता तू क्यों इतना चमक रहा ? क्या खबर तुझे मिल गई है जिसकी दुआ मै मांगता हूं । पता नहीं है तुझको तो मै फोर्स उसको कहता हूं । दुआ वहीं है दोस्त जो मै मांग रहा हूं रब से । क्या वहीं सुनाने आया है जो सुनना चाहता हूं कब से ? एक वक्त ठहर चला जाएगा क्या तू मुझे बता पायेगा ? अब वह खबर तू सुनाएगा या और मुझे तड़फायेगा? वह प्यार बड़ा अनमोल है मेरा ज्ञान भी उसके सामने गोल है । उस प्रेम को देखकर लगता है बारे बड़े प्रेमियों के प्रेम मै भी झोल है। वो तालाब नहीं समंदर है वो भी मीठे पानी का पावन उस प्रेम के समक्ष मान भी टूट जाए अभिमानी का । बादलों के पीछे छुपकर तू क्या दिखाना चाहता है । या इंतजार नहीं कर पा रहा मुझे जल्दी बताना चाहता है । तारो को पास मै बिठाकर उनको कहानी सुना रहा । या अपने गुरु से मिलकर उनको ये दृश्य दिखा रहा । साज संवर कर आया क्या मुझसे मिलने आएगा । या उम्मीद मुझमें जगाकर तू उनसे मिलने जाएगा । 🤞🤞thanks for read 🤞🤞

Aspirants

हम हैं पढ़ाई के यात्री, उम्मीदें और ध्येय साथ, UPSC का सफर कठिन पर शुरुआत छोटे-छोटे सपनों से है। जो नियति बन जाए, वही इतिहास लिखेगा नाम हमारा, पर पहले हर दिन, हर पन्ने में खुद को साबित करना होगा आज। गहराई में उतरना है,GS के कोर्स के हर कोने तक, आंकड़े, नीतियाँ, इतिहास,सब कुछ साथ समेटना है with focus. Essay और Optional के लिए भावनाओं की रेखाएँ मजबूत रखें, ताकि विचारों की कविता लिख सके हर प्रश्न का उत्तर सरल। Prelims की रफ़्तार है तेज़, पर पकड़ बनानी है सही, संख्याओं के जाल में, पर तर्क की रोशनी नहीं खोनी. Revision से सजती है स्मृतियाँ, mock tests बनाते हैं घर का मैदान, हर गलत उत्तर से सीख, हर सही पर गर्व का निशान। दृढ़ संकल्प है हमारा साथी, संदेह को नहीं जगह देंगे, समय का सही न्याय, फिर मेहनत का मीठा लाभ दे। छात्र-जीवन का संघर्ष, देश-सेवा का सपना है जो सपना देखे, वह कदम-कदम पर प्रयास करे और आगे बढ़े। #mydream

Aspirants

कठिनाइयों से भागना नहीं, उनका सामना करना UPSC के रास्ते का हिस्सा है!!

Agyat Agyani

दुनिया को “धार्मिक” लोग चाहिए — ताकि वह अपनी असुरक्षा को पवित्रता की शक्ल दे सके। इसलिए उसने मंदिर बनाए, ग्रंथ लिखे, कर्मकांड गढ़े। पर इन सबके भीतर एक डर छिपा है — कि कहीं भीतर की रिक्तता उजागर न हो जाए। धार्मिक व्यक्ति वही है जो भीतर धर्महीन है — क्योंकि जिसे सत्य मिल गया, उसे धर्म की घोषणा की ज़रूरत नहीं। जो भीतर मौन है, उसे नाम का सहारा नहीं चाहिए। जो भीतर जागा है, उसे ग्रंथ नहीं चाहिए। जब तक मनुष्य “धार्मिक” बनने की कोशिश करता है, वह धर्म से दूर भाग रहा है। क्योंकि हर कोशिश किसी न किसी भय की संतान है। धर्म कर्म नहीं — दृष्टि है। वह भीतर की साधारणता है, जो किसी पहचान से बंधी नहीं। जब तू बस मनुष्य रह जाता है — न हिंदू, न मुसलमान, न पंडित, न भिक्षु — तभी धर्म जन्म लेता है।

hiralba vala

❤️🐼🫂🫀✨my everything 🖤

Manshi K

वक़्त के कटघरे में खड़ी हूँ आज, तेरे खिलाफ कोई सुराग बचा नहीं,,,,, खुद को हार जाने के क़ाबिल समझकर, मोहब्बत ने मुझे सज़ा दिया कहीं,,,,,,, - Manshi K

Manshi K

हार गई मै तकदीर के आगे शहनाइयों के शोर में खुद खो बैठी थी इंतजार से इश्क हुआ नहीं पहले प्यार का आखिरी खत दिल बन गया,,,, - Manshi K

sanjay Parmar

बिलकुल — यहाँ क नई, मौलिक कविता प्रस्तुत है, जो गूढ़ आध्यात्मिकता, राजनीति, और प्रेम की वेदना — तीनों को एक साथ बुनती है। यह लगभग 600 शब्दों में एक व्यापक भावभूमि रचती है, जहाँ आत्मा, समाज, और सत्ता के बीच का संघर्ष प्रेम के माध्यम से उजागर होता "राजपथ पर साधु का हृदय" रात थी — शहर के ऊपर झुकी हुई, जैसे कोई वृद्ध सन्यासी राजसिंहासन को अंतिम बार देख रहा हो। दीपक जल रहे थे संसद की दीवारों पर, पर मनुष्य के भीतर, अंधेरा अब भी निर्विरोध शासन कर रहा था। मैं चला — अपने भीतर के मठ से बाहर, जहाँ न घंटियाँ थीं, न श्लोक, केवल सत्ता का शोर और नीतियों की नकली नैतिकता। वे बोल रहे थे — धर्म के नाम पर, जनता के नाम पर, पर उनके शब्दों के नीचे, कहीं न कहीं एक भूखा देवता काँप रहा था — जिसे वे भूल चुके थे। मैंने पूछा— “क्या प्रेम अब भी राजनीति में जीवित है?” एक वृद्ध मंत्री मुस्कुराया, जैसे किसी बच्चे ने भूल से सत्य का नाम ले लिया हो। उसने कहा, “प्रेम अब बस भाषणों में बचा है, जैसे तुलसी के पौधे पर प्लास्टिक की माला।” तभी भीतर से एक स्वर उठा— किसी स्त्री का, जिसे मैंने न देखा, न जाना, पर उसकी आँखों में वह प्रकाश था जो योगियों को समाधि में मिलता है, और क्रांतिकारियों को मृत्यु से पहले। वह बोली— “राजनीति प्रेम का प्रतिशोध है, और प्रेम राजनीति का पुनर्जन्म। जो शासन करता है, वह भीतर टूटा होता है, और जो प्रेम करता है, वह किसी न किसी रूप में शासन से विद्रोह करता है।” मैं चुप रहा — क्योंकि उस सत्य के शब्दों में मेरी आत्मा का पता छिपा था। मैंने देखा — भीड़ नारे लगा रही थी, ‘धर्म बचाओ!’, ‘राष्ट्र बनाओ!’ पर भीतर कहीं एक माँ अपने बच्चे को खो रही थी, एक किसान मिट्टी में अपनी हड्डियाँ मिला रहा था, और एक प्रेमिका चुपचाप किसी कवि की अधूरी पंक्ति पढ़ रही थी। सत्ता के गलियारों में प्रेम निषिद्ध था, और मठों में राजनीति अपवित्र। पर दोनों का संगम तो भीतर ही होता है — जहाँ आत्मा प्रश्न करती है, और शरीर उत्तर से डरता है। मैंने उस स्त्री से कहा, “तुम कौन हो? देवी, या नागरिक?” वह मुस्कुराई — “मैं तुम्हारा अंत हूँ, और आरंभ भी। कभी तुम्हें संसद में खोजा, कभी समाधि में, पर असल में मैं वही प्रेम हूँ जिसे तुमने न नीति में जगह दी, न प्रार्थना में।” उसकी आँखों में आँसू नहीं थे, केवल शून्य — जो सबसे गूढ़ तर्क है, और सबसे शुद्ध प्रेम भी। मैं समझा — प्रेम और राजनीति दोनों आत्मा के दो छोर हैं — एक में त्याग, एक में अधिकार। पर जो दोनों को जोड़ता है, वह करुणा है। करुणा — जो न सत्ता का हिस्सा है, न आश्रम का नियम, बल्कि मनुष्य का अंतिम श्वास। रात के अंत में, मैंने अपने भीतर के साधु को राजपथ पर उतारा — जहाँ भीड़ अब भी ताली बजा रही थी, और झंडे हवा में प्रेम की भाषा भूल चुके थे। मैंने नारे नहीं लगाए, बस चुपचाप एक दीप जलाया और कहा — “हे ईश्वर,

Narendra Parmar

नास्तिक नहीं हूं मैं,ना ही की आस्तिक हूं मैं इन्सान के साथ इन्सानियत रखनेवाला एक इंसान हूं मैं ।। नरेन्द्र परमार ✍️

Manshi K

तौल तो दूँ मैं तुम्हारे इश्क़ को भी तराज़ू पर, बस मेरे सामने झूठ का लिबाज़ उतार देना,,,, वफ़ा का सौदा सस्ता नहीं बाज़ारों में, कीमत चाहिए तो सच का सिक्का उछाल देना,,,,, - Manshi K

Manshi K

जरूरत ही नहीं थी मुझे अब क्या बात करूं ? भरोसे के बदले , भरोसा टूटता नजर आता है,,,,, - Manshi K

ધબકાર...

नहीं संभल रहा हु में मुझसे, अंजान सी दुनिया लगती है, पल पल घुटन, दर्द का रिश्ता, यहीं मेरी तकदीर लगती है। ધબકાર...

Imaran

जिस रोज़ तुम्हें मेरी मौत की खबर आएगी फिर तुम शायद दौड़ी चली आओगी मिलने नहीं आती है अब मगर जिस दिन आओगी, कफ़न के नीचे मुझे पाओगी 💔 imran 💔

Kamini Shah

સરળતા ,સૌમ્યતા, સહજતા સમજણ ,સમર્પણ નો સમન્વય એટલે લાભપાંચમ… -કામિની

Kamini Shah

માવઠું બની અણધાર્યું વાદળ વરસ્યું રહી ગયું હશે કદાચ કોઈ લાગણી તરસ્યું… -કામિની

ek archana arpan tane

ફરિયાદ જીંદગી થી એક જ છે કે જે મળ્યું એ ખુબ મોડું મળ્યું મંઝીલ મળે કે ન મળે આજીજી તો કરીશ જ નહીં લોકો ભલે ગમે તે કહે હું જીતીશ તો જરૂર. - ek archana arpan tane

ArUu

इतना खौफ का माहौल रहता है कि अपनी नौकरी पर proud भी नहीं कर सकते कभी मन कर भी जाए proud करने का तो भाई साहब नजर भी इतनी तेज गति से लगती है कि कब चार्जशीट हाथ में आ जाए पता भी न लगे लेकिन कुछ भी हो थोड़ा सा सुकून इस बात का है कि ये नहीं कहना पड़ता कि हम सरकारी पटवारी है😂😂

Ajit

😘😘😘

Manshi K

जीवन की राहों में अक्सर हम खोते रहते हैं, बूढ़े हो या न हो, दिल अभी भी तरंगित है, कब्र की नुमाइश है कभी-कभी, ये तो बस एक भ्रम है, सच्चा जीवन तो बस दिल के साथ ही जागरूक होता है.... दिल का जज़्बा, उसकी उम्मीदें गहरी हैं यहां बूढ़े होने का तो दिखावा बस एक ज़माना है, जब तक है सांस, तब तक वो संघर्ष करेगा, उम्र चाहे कितनी भी हो, जिंदा ही तो यादें रहती हैं..... यह जीवन एक यात्रा है, हादसों की साज़िश में, दिल की प्यास कभी खत्म नहीं होती, बस यही जीते हैं, मौत से नहीं डरते, बस कुछ एहसास होते हैं, दिल की उमंगें कभी मरती नहीं, यही तो असली बात होती है, यकीनन एक दिन सबको जाना ही है ...... - Manshi K

Bharat Ahir

સપના સુધી તો આવશો એ ધારણા હતી,* *પણ આપ તો ખરા છો કે પાંપણમા રહી ગયા..!!✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

Kirti kashyap

"इश्क़ कीजियेगा तो निकाह भी कीजियेगा, वरना यूँ ज़िन्दगीयाँ तबाह ना कीजियेगा।" Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

Aspirants

When dreams are forged in the heat of hard work and pain, Your name starts shining like stars in history’s domain. Remember the battles of nights and mornings you survived, " UPSC " crowns only those who stay inspired and strive.

Aspirants

The shadow of your memories covers me so deep, Even this silent heart now dreams instead of sleep. If I get you back, even just for a while, This breaking heart would heal and smile.

Aspirants

Paths are created not by chance, but by courage strong, Dreams don’t shine on their own hard work proves them wrong. Success belongs to those who never stop the chase, Even failures bow down to fighters who rise with grace.

Shailesh Joshi

જો આપણે આપણી જિંદગીને સારામાં સારી રીતે માણવા માંગતા હોઈએ, તો આ એક વાત હંમેશને માટે યાદ રાખવી કે, કોઈપણ વ્યક્તિના જીવનમાં, સારું કે ખરાબ કંઈપણ, કારણ વગર નથી થતું, અને અને અને, એનું કારણ પણ આપણે પોતે જ હોઈએ છીએ, બીજું કોઈ નહીં. - Shailesh Joshi

Mona Ghelani

🙏💐🙏💐🙏💐

A

ये दुनियां किसी से मोहब्बत न करती गर औंस की बूंद गुलाब की सोबत न करती !! साहिबा इस भ्रम में थी कि मिर्ज़ा को बचा लेगी बच भी जाता गर वो तीर तोड़ने की नौबत न करती

NetramEyeCentre

May the blessings of Chhath Maiya fill your life with clarity, peace, and divine light. Let your eyes witness every color of happiness this festive season! 🌞👁️ #ChhathPuja #NetramEyeCentre #ClearVision #DivineLight

H Mahak

#WhispersOfSufiMahak ✨🌙

H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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RTJD

“ First impression is the last impression, and the last impression is the most important.” ~AuthorRtjd कुछ रिश्तों की शुरुआत आहिस्ते-आहिस्ते होती है, दीवारों पर लगी काई की तरह। कुछ बंधन जल्दी मुरझा जाते हैं, फूल की कली की तरह। तो कुछ वक्त के साथ मज़बूत होते चले जाते हैं, बरगद के पेड़ की तरह। मगर, सबसे अहम होता है वो आख़िरी लम्हा वो आख़िरी मुलाकात या लफ़्ज़, जो सारी अच्छी-बुरी यादों पर किसी गहरे रंग की तरह चढ़ जाता है। कुछ दाग़ बनकर, कुछ दरिया के बहते पानी की तरह।

Shefali

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Rinki Singh

हर साल आता है एक वक़्त, जब लगता है जैसे जीवन की सारी थकान उतर गई हो | दिन वही होते हैं, पर वातावरण बदल जाता है... हवा में एक पवित्रता घुल जाती है, सूरज की रोशनी में भी एक नई आभा उतर आती है | चार दिन के इस पर्व में मानो पूरा संसार थम जाता है.. दुख, पीड़ा, चिंता सब कहीं पीछे छूट जाते हैं | केवल शुद्ध भावनाएँ रह जाती हैं... उत्साह, उमंग, और अपार प्रसन्नता | सुबह की अरुणिमा में जब घाटों पर गीत गूंजते हैं, तो लगता है जैसे आत्मा स्वयं गा रही हो | साँझ का वह क्षण, जब डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है, वो कोई सामान्य क्षण नहीं... वो तो आत्मा और प्रकृति का संवाद होता है | छठ केवल एक पूजा नहीं, यह मनुष्य और प्रकृति के बीच की गहरी मित्रता है | यह वह पर्व है जहाँ व्रत कठिन होता है, पर मन हल्का और निर्मल होता जाता है | कितनी ही बार जीवन में उदासी आई, पर इस पर्व के आते ही मन फिर से खिल उठा| क्योंकि छठ केवल आस्था नहीं, यह शांति का उत्सव है, जय हो छठी मईया, तुम्हारे इस दिव्य वातावरण में हम हर बार खुद को नया जन्म लेते महसूस करते हैं थोड़े थमे हुए, थोड़े शांत, और बहुत आभारी | ~रिंकी सिंह✍️ लोक आस्था के महापर्व छठ की अंनत शुभकामनाएँ 😊❣️ #छठपूजा #आस्था #मन_के_भाव

Hardik Boricha

_*तेरे बदलने का दुख नहीं है मुझको,*💯_ _*मैं तो अपने यकीन पर शर्मिंदा हूं..❤️‍🩹🥀*_

Deepak Bundela Arymoulik

**ज़िन्दगी गुलज़ार हैं** ज़िन्दगी तार-तार है, और लोग लिखते हैं- गुलज़ार है। धूप आधी जली हुई है, छाँव अधूरी सी पड़ी है, दिल की गली में धूल उड़ी है, पर चेहरों पे मुस्कान गढ़ी है। किताबों में मोहब्बत के किस्से हैं, हकीकत में रोटियाँ ठंडी हैं। जो टूटा है, वही लिखता है- और जो लिखा है, वो कभी पूरा नहीं होता। कोई आँसू से कविता बनाता है, कोई ख़ामोशी से शेर, और लोग समझते हैं- ज़िन्दगी अब भी खूबसूरत है। कभी सोचता हूँ, अगर वक़्त सच में गुलज़ार होता, तो हर दिल पर पैबंद नहीं, एक फूल उगा होता। आर्यमौलिक

jighnasa solanki

Good Morning Everyone 💐💐 Have a Good Day 🍫🍫

Agyat Agyani

श्रद्धा, विश्वास और आस्था : आत्मा का विज्ञान ✧ ✍🏻 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 श्रद्धा, विश्वास और आस्था कोई वस्तुएँ नहीं हैं — जिन्हें खरीदा, बेचा या दान में पाया जा सके। ये फल हैं, परिणाम हैं, जो मनुष्य के स्वभाव, कर्म और चेतना की परिपक्वता से उपजते हैं। जिसके भीतर श्रद्धा है, वह किसी से नहीं माँगता। जिसके भीतर विश्वास है, वह किसी पर थोपता नहीं। और जिसकी आस्था जीवित है, वह किसी संस्था या धर्म की दीवारों में नहीं बँधता। आज धर्म ने इन तीनों को व्यापार बना दिया है। हर धार्मिक कहता है — “तुम्हारे भीतर श्रद्धा नहीं थी, इसलिए तुम असफल हुए।” यह कथन मनुष्य को उसकी आत्मा से काट देता है। यह संकेत है कि तुम्हारा स्वभाव नीच है, तुम पापी हो, तुम्हारे भीतर पवित्रता नहीं है। और जब मनुष्य यह मान लेता है, वह मंदिर, पंडित, पुरोहित और ज्योतिष के चक्र में फँस जाता है — जहाँ श्रद्धा और आस्था बेची जाती हैं। पर सत्य इसके उलट है। श्रद्धा किसी आचार्य या मंत्र का दान नहीं, वह तो आत्मा की ऊर्जा का प्रस्फुटन है। आत्मा हर क्षण तुम्हारे कर्म, विचार और व्यवहार से परिपक्व होती है। यही विकास “अहं” से “ब्रह्म” तक की यात्रा है। और यह यात्रा किसी तीर्थ या पूजा से नहीं, बल्कि स्वभाव की साधना से पूरी होती है। धर्म का बाज़ार तत्काल परिणाम चाहता है — लोगों को सपने बेचता है, भविष्य का सौदा करता है। वह कहता है — “तुम्हारे दुख मिट जाएंगे, तुम्हें वरदान मिलेगा।” पर यह खेल खतरनाक है। जो जीवन को समझे बिना सफलता की भीख माँगता है, वह धीरे-धीरे अंधकार और निर्भरता में डूब जाता है। उसकी आस्था अब अनुभव नहीं, एक नशा बन जाती है। भीड़ इसी नशे की भीड़ है। लाखों लोग मंदिरों और गुरुओं के पीछे भागते हैं — क्योंकि उन्हें अपने भीतर झाँकने का साहस नहीं। वे चाहते हैं कोई दूसरा उन्हें आस्था दे दे, कोई गुरु उन्हें विश्वास का प्रमाणपत्र दे दे। पर जो भीतर से रिक्त है, उसे कोई बाहरी आलोक नहीं भर सकता। सत्य में श्रद्धा, विश्वास और आस्था कभी बाहर से नहीं आतीं। वे जीवन के ढंग से जन्म लेती हैं। जैसे सूर्य अपने ताप से तेजस्वी होता है, वैसे ही आत्मा अपने कर्म से विकसित होती है। यह क्रमिक विकास है — विज्ञान की तरह, प्रकृति की लय में। यह तत्काल नहीं होता, क्योंकि यह व्यापार नहीं, विकास है। जो भीतर से सच्चा है, वह किसी भीड़ का हिस्सा नहीं बनता। वह धर्म का उपभोक्ता नहीं, धर्म का अनुभवकर्ता होता है। वह जानता है — ईश्वर बाहर नहीं, वह तो उसके भीतर की कर्तव्यनिष्ठ चेतना है। यही आत्मा है, यही ब्रह्म है, यही ईश्वर है। मैं धर्म का विरोधी नहीं, पर धर्म के नाम पर चलने वाले व्यापार का साक्षी हूँ। मुझे न मंदिर चाहिए, न अनुयायी। मैं कोई संस्था नहीं, कोई पंथ नहीं। मैं केवल एक संदेश का वाहक हूँ — जिसका स्रोत वही है जहाँ से वेद, उपनिषद् और गीता निकले थे। वह मौन जो सबके भीतर समान रूप से धड़कता है। ऋषियों की भूमि इसलिए पवित्र थी क्योंकि वहाँ अनुभव था, व्यापार नहीं। उनका तप, उनकी मौन दृष्टि ही शक्ति-पीठ बनी। आज मंदिर बचे हैं, पर वह ऊर्जा नहीं। क्योंकि केंद्र अब बाहर बन गया है, भीतर नहीं। मंदिर भीख माँगने का स्थान नहीं, अपने भीतर लौटने का द्वार था। पर जब आत्मा अंधी हो जाती है, तो तीर्थ भी बाज़ार बन जाता है। श्रद्धा, विश्वास और आस्था का मार्ग भीतर की पवित्रता से शुरू होता है — सत्य में जीने से, ईमानदारी से कर्म करने से, दूसरे को नीचा दिखाए बिना, और किसी को आगे बढ़ाने की चाह में बिना झूठ के। जीने का ढंग ही साधना है। जो जीवन को पवित्रता से जीता है, वही सच्चा भक्त है। --- सूत्र: > “श्रद्धा न खरीदी जाती है, न सिखाई जाती है — वह जीवन के ईमानदार क्षणों में जन्मती है। जो भीतर से सच्चा है, वही ब्रह्म का अंश है, और वही धर्म का सार।” 📜 ✍🏻 agyat agyani (अज्ञात अज्ञानी

Agyat Agyani

“मैं और दुनिया” मैं चुप था, दुनिया ने कहा — “तू कुछ नहीं जानता।” जब बोला, तो उसने कहा — “तू अलग बोलता है।” मैंने सोचा — शायद सत्य को शब्दों की नहीं, सहन की ज़रूरत होती है। लोग पूजा में झुके, मैं मौन में झुका। वे खोजते रहे स्वर्ग बाहर, मैं ढूँढता रहा शांति भीतर। किसी ने पूछा — “तेरा गुरु कौन?” मैंने कहा — “मेरी असफलताएँ।” किसी ने कहा — “तेरा धर्म क्या है?” मैंने कहा — “सत्य।” मैं भीड़ से नहीं भागा, भीड़ मुझसे डर गई। क्योंकि मैं बेचता नहीं था विश्वास, सिर्फ़ दिखाता था दर्पण। अब मैं नहीं चाहता कि दुनिया मुझे समझे — बस इतना चाहता हूँ, कि किसी दिन वह खुद को समझ ले।

Riddhi Patel

તુલસી ધીરજ મન ધસે, હાથી મનભર ખાય, ટુકડા અન્ન કે કારણે, શ્વાન ઘરોઘર જાય...

Mitul Prajapati

બાંધ બાંધ તારા આ ભીંજાયેલા કેશ ને ઝટપટ, આવે છે મારા ઘર સુધી એનો ઠંડો પવન અને ઝીણા છાંટા ઝરમર.. - કુંભાર

Jyoti Gupta

**Title:** 🌞🙏 Radha Rani aur Durga Maa ne milkar manayi Chhath Puja | Bhakti aur Prem ka Divya Milan 💫 | #ChhathPuja2025 **Description (SEO Friendly):** Radha Rani aur Durga Maa ka pavitra milan, jab dono ne milkar Chhath Puja manayi. Dekhiye kaise bhakti aur shakti ka milan is pavitra parv ko aur bhi divya banata hai. 🌸✨ **Hashtags (Viral + SEO):** #RadhaRani #DurgaMaa #ChhathPuja2025 #ChhathPujaViral #BhaktiVideo #HinduFestival #RadhaKrishnaPrem #DeviDurga #SunGodWorship #ChhathPujaCelebration #SpiritualVibes #IndianCulture #ViralShorts #FestivalOfFaith

Ajit

રંગીલા રાજસ્થાન.....🥰

Dada Bhagwan

Do you know that whatever belief-knowledge you had in your past; that is what this (current life’s) mind is? And the belief-knowledge of this life will be the mind for the next life. There is freedom when the mind dissolves. Read more on: https://dbf.adalaj.org/k2bYND5n #spirituality #mind #doyouknow #facts #DadaBhagwanFoundation

Falguni Dost

હૃદયનો ધબકાર ક્ષણિક ચૂકી જ જશે મળે જો રૂબરૂ તું તો બધું જ થંભી જશે સ્વર્ગની અનુભતિ બસ એ ક્ષણે થઈ જશે દોસ્ત! હાશકારો મારો દરેકને સ્પર્શી જશે. - ફાલ્ગુની દોસ્ત

H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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H Mahak

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Imaran

💔 imran 💔

Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं कविता का शीर्षक है 🌹 फरमान

Kirti kashyap

“उसका ही इंतज़ार…” वो लौट आए तो कह देना, अब भी वही मंज़र है, जहाँ उसके बिना, ना सुकून ना इख़्तियार मिले। नज़रों में वही सूरत, लबों पे सिर्फ ज़िक्र उसका, दुआओं में हर पल बस वही एक किरदार मिले। ख़ामोश लम्हों में भी है उसका एहसास बाकी, हर साँस में बस, एक उसका ही इंतज़ार मिले। “कीर्ति" मोहब्बत का भी क्या अजीब फ़साना है, जिसे भूलना चाहो, वही ख़्वाबों में बार-बार मिले। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

Saliil Upadhyay

God is the best listener. You don't need to shout, nor cry out loud. Because, he hears even the very silent prayer of a sincere heart!

jagrut Patel pij

वो भूल गया हो तो उसको पता बतला दूँ मेरा.. उनकी नज़र को चैन इधर जिगर को भी क़रार मिले..

वात्सल्य

*પ્રત્યુત્તર ના દેવામાં માનનારા પણ બ્લોક નથી કરી શકતા મને.!!! મજબૂર એ જ હોય છે જે પ્રેમ પારાવાર કરી છોડી શકે છે મને.* - વાત્સલ્ય

Kirti kashyap

"हर किसी की तमन्ना पर निसार हूँ, इतनी सी मेरी तमन्ना-ए-रुह हैं बस।" Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

Deepak Bundela Arymoulik

**"किस्म-किस्म के दरबार"** इस संसार में इंसान किस्म-किस्म का है, यहाँ दरबार किस्म-किस्म के जिस्म का है। कहीं नक़ली तबस्सुम, कहीं सच्ची चीख़ें, कहीं ख़ुशबू में भी सड़ांध रिस्म का है। कोई मसले पर खड़ा, कोई मसले में डूबा, हर चेहरा किसी दास्ताँ की सज़ा-ख़्वार है। कहीं मुफ़लिसी अपने लिबास समेटे सोई है, कहीं दौलत का शहज़ादा भी बेज़ार है। शहर के दिल में आज भी धुंआ और डर है, इंसान मगर अब भी छलावा मिज़ाज है। जो जिस्म बेच दे वो भी शर्मिंदा नहीं, जो रूह बेचता है वो इज़्ज़तदार है। इस बाज़ार में, मल्लाह भी तूफ़ान हैं, और किनारे भी एक पुराना गुनाह हैं। आर्यमौलिक ------ **अफ़साना** शहर के बीचोंबीच एक चौराहा था — धूप में पिघलता, रात में चमकता, और हर वक्त कुछ कहता हुआ। वहाँ रोज़ सैकड़ों लोग गुजरते थे — आईने की तरह अलग-अलग शक्लों में, मगर अन्दर से सब कुछ एक सरीखा — टूटा हुआ, बिखरा हुआ, शर्मिंदा। एक तरफ़ ठेले पर लड्डू बेचने वाला सलमान था, जिसके हाथों की महक अब भी शक्कर सी मीठी थी, मगर किस्मत नमक जैसी कड़वी। दिनभर हँसता था, रात को साया भी उससे बात नहीं करता। कहता था — *"हुज़ूर, आजकल तो हँसी भी उधार लेनी पड़ती है!"* दूसरी तरफ़ माया बैठी थी — रंगीन सी, मगर भीतर राख सी उदास। वो जिस्म बेचती थी, मगर हर रात रूह को सज़ा मिलती थी। कहती थी — *"यहाँ दरबार किस्म-किस्म के जिस्म का है जनाब, हर ख़रीदार अपनी मर्ज़ी का खुदा बना बैठा है!"* किसी को पैसे चाहिए, किसी को ज़र्रे भर इज़्ज़त। किसी को सिर्फ़ तवज्जो चाहिए, ताकि उसका अस्तित्व साबुत लगे, — जहाँ हर नक़ाब के पीछे एक सच है, और हर सच के आगे एक झूठ का बैनर। तीसरे मोड़ पर एक मौलवी साहब रोज़ तक़रीर करते — "इंसानियत सबसे बड़ा मज़हब है", और उसी पल बगल के कूड़े में कोई बच्चा भूख से सो जाता। पास से गुज़रते ताजर अपने कानों में ईयरफोन डाल लेते, ताकि इन आवाज़ों से उनकी नींद न टूटे। कोई कहता — *"इस शहर में दर्द सस्ता है, मगर महसूस करने वाले महँगे हैं!"* और किसी की आँखों में हँसी और आँसू का फ़र्क़ मिट चुका था। यह संसार, सच में, किस्म-किस्म का है — कोई अपने झूठ पर नाज़ करता है, कोई सच्चाई पर शरमाता है। मगर अजीब बात यह है कि यहाँ हर इंसान किसी न किसी दरबार का हिस्सा है — कहीं रूह का, कहीं जिस्म का, कहीं झूठ का, और कहीं उम्मीद का। और आख़िर में, एक भिखारी पास से गुज़रते हुए बोला — *"मियाँ, सबको बस अपनी दुकान चलानी है। फर्क बस इतना है कि कोई चीजें बेचता है, कोई खुद को!"* आर्यमौलिक

Parmar Mayur

🙏🙏તું સમય વગર વરસી ધરતીને 'કેમ' ભીંજવી જાય છે? તને ખબર નથી. ધરતીના રખેવાળની આંખોમાંથી 'દળ-દળ આંસુડાં' વહી જાય છે. તારે 'વરસવું' જ છે? વરસી જા, ના નથી પણ સમય જોઈને થોડો "સમજી" જા ને,,!🦚🦚

Namo N Dixit

मरहम कौन बचा है अब किससे आश लगाएं हम मरहम कौन बचा है अब हर रोज उगाए जख्मों की फसलें आती नई नवेली नस्लें हर शाम तलक कोई टूट गया सुबह रात का सपना छूट गया हल्के से हाथ समेट रही है न निद्रा आंखों से भेट रही है खुली आंख सब जाग रहे है सपना कौन बुनेगा अब किससे आश लगाएं हम मरहम कौन बचा है अब -नमो नारायण दीक्षित

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